संदेश

अप्रैल, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मैनें भी देखे हैं भूत-प्रेत और जिन्न

राजीव रंजन एक पत्रकार मित्र हैं पूजा और उनका ब्लौग है तीन बिंदु . उन्होंने अपने ब्लौग पर एक पोस्ट डाली है, जिसमें एक खबर के हवाले से बताया गया है कि बिहार और झारखण्ड के कुछ इलाकों में ऐसे मेले लगते हैं जिनमें लोगों के भूत उतारे जाते हैं, खासकर औरतों के. पूजा ने इस पर सवाल उठाए हैं जो वाजिब भी हैं. उनका कहना है कि यह एक प्रकार का अत्याचार है, अंधविश्वासों की आड़ में औरतों का शोषण है. भूत भगाने की इस निर्मम और गर्हित प्रक्रिया का मैं बहुत नजदीक से गवाह रहा हूँ. इस तरह का एक बडा मेला ( नवरात्रों में ) मेरे गाँव भुतहा खैरा से आधा किलोमीटर की दूरी पर लगता है. जगह का नाम है घिनऊ ब्रह्म. यह बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल में स्थित है. यहाँ आसपास के इलाके की महिलायें और पुरुष आते हैं, जो "प्रेत बाधा से पीड़ित" होते हैं. वैसे ज्यादातर संख्या महिलाओं की ही होती है. बडा वीभत्स दृश्य होता है. में जब भी गाँव जाता था, मेरी आजी ( दादी ) उन रास्तों पर चलने से मना करती थी, जिन पर "प्रेत बाधा से पीड़ित" लोगो के सामान फेकें हुए रहते थे. उन सामानों में रिबन, टिकुली (