मजबूरियों के शोर में लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप - अप्रैल 30, 2010 राजीव रंजन चंद सिक्कों की खनक में सुनाई नहीं देती दूर बैठे अपनों की सदा मजबूरियों के शोर में दब जाती हैं सब आवाजें आत्मा की भी ईमान की भी और पढ़ें