होलिस्टिक खानपान: तन के साथ मन की भी सेहत

व्यस्तता, हड़बड़ी और सुविधा वाली जीवनशैली की बड़ी कीमत हमें चुकानी पड़ रही है। इसकी वजह से पिछले कुछ सालों में डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और अवसाद जैसी बीमारियों में कई गुणा वृद्धि हुई है। यही वजह है कि इन दिनों काफी लोग होलिस्टिक खानपान की ओर देखने लगे हैं। राजीव रंजन का आलेख: महाभारत से जुड़ा एक प्रसिद्ध आख्यान है। जब भीष्म पितामह शरशैय्या पर पड़े हुए थे। श्रीकृष्ण और पांडव उनसे मिलने गए। सब उनसे अपनी अपनी जिज्ञासाएं प्रकट कर रहे थे और भीष्म पितामह उनके प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। तभी द्रौपदी ने उनसे एक चुभता हुआ प्रश्न किया- पितामह! आप तो महाज्ञानी और महावीर थे। कौरव-पांडव और अन्य सभी आपका बहुत सम्मान करते थे। लेकिन भरी सभा में जब दु:शासन मेरा चीरहरण कर रहा था, तब आप मौन रहे! मुझे उस अपमान से बचाने के लिए आपने हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? भीष्म पितामह ने उत्तर दिया- बेटी! उस समय मैं दुर्योधन का अन्न खा रहा था, इसलिए मेरी बुद्धि नष्ट हो गई और मैं मौन भरी सभा में अपनी आंखों के सामने वह सब होता देखता रहा। भारत में बहुत पहले से यह धारणा प्रचलित रही है कि हम जो खाते हैं, उसका अच्छा या ...