पहले जैसा जादू नहीं इस क़िस्त में

जुरासिक वर्ल्ड: फालेन किंगडम की समीक्षा

राजीव रंजन

कलाकार: ब्राइस डॉल्स हॉवर्ड, क्रिस प्रैट, जस्टिस स्मिथ, जेम्स क्रॉमवेल, राफे स्पैल, डेनियला पिनेडा, इसाबेला समान

निर्देशक: जे. ए. बेयोना।

3 स्टार

जुरासिक पार्क सीरीज के रजत जयंती वर्ष में इसकी पांचवी क़िस्त जुरासिक वर्ल्ड: फालेन किंगडम आई है। 1993 में जब इस साइंस फिक्शन की पहली क़िस्त जुरासिक पार्क आई थी तो उसे अपने बिलकुल नए विषय और अद्भुत प्रस्तुतीकरण से पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस फिल्म ने डायनासोरों को लेकर लोगों के मन में ऐसी उत्सुकता पैदा कर दी थी कि हर कोई उनके बारे में जानने को व्यग्र हो उठा। लिहाजा इस सीरीज की फिल्मों को लेकर लोगों में उत्साह और उत्सुकता लगातार बनी रही। क्या लोगों की उत्सुकता और उम्मीदों के साथ यह फिल्म पूरी तरह न्याय कर पाई है? इसका जवाब है फिल्म पटकथा और प्रस्तुतिकरण के स्तर पर उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाई है। 


इस फिल्म की कहानी इसके प्रीक्वल जुरासिक वर्ल्ड की कहानी के 3 साल बाद शुरू होती है। आइसला नुब्लर में स्थित जुरासिक पार्क तहस नहस हो चुका है। वहां का ज्वालामुखी सक्रिय हो गया है। इसके कारण वहां रह रहे डायनासोरों और अन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। डायनासोरों को बचाया जाए या नहीं, इसको लेकर अमेरिकी बैठकें कर रही है। अंततः फैसला लिया जाता है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

इधर जुरासिक वर्ल्ड से जुड़ी रही क्लेयर (ब्राइस डलास हॉवर्ड) एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट बन गई है और डायनासोरों को बचाने के लिए लॉबिंग कर रही है। तभी उससे एक पुराण परिचित एली मिल्स (राफे स्पैल) संपर्क करता है। वह खरबपति बेंजामिन लॉकवुड (जेम्स क्रॉमवेल) के लिए काम करता है। लॉकवुड जुरासिक पार्क के संस्थापक जॉन हैमंड के साथ काम करते थे। फिर दोनों किसी बात पर अलग हो गए। लॉकवुड ने एक द्वीप पर गुप्त सैंक्चुरी बनाई हुई है, जहाँ वे डायनासोरों को लाकर रखना चाहते हैं, ताकि डायनासोर मानवीय हस्तक्षेप से दूर शांति से रह सकें। लेकिन मिल्स की योजना कुछ और है।

इस गुप्त मिशन को अंजाम देने के लिए मिल्स को एक ऐसे शख्स की जरूरत है, जो जुरासिक पार्क की गहरी जानकारी रखता और क्लेयर इसके लिए एकदम उपयुक्त है। साथ ही मिल्स एक वेलोकिरेप्टर ब्लू को भी पकड़ना चाहता है, जो बेहद तेज़ दिमाग का है। इस छोटे डायनासोर को ओवेन (क्रिस प्रैट) ने प्रशिक्षित किया था और वही उसको पकड़ने में मदगार हो सकता है। उसको इस काम के लिए मनाने का जिम्मा उसकी पूर्व प्रेमिका क्लेयर को दिया जाता है। वह इसमें सफल रहती है।

क्लेयर अपने साथ ओवेन, एक बेहद मेधावी युवा टेक्नीशियन फ्रेंक्लिन (जस्टिस स्मिथ)और अपनी एक सहयोगी डॉक्टर जिया (डेनियला पिनेडा) को लेकर आइसला नुब्लर द्वीप पहुंचती है। ओवेन वहां जाकर ब्लू को काबू करने की कोशिश करता है, लेकिन मिल्स के आदमी उसे ट्रैंक्वालाइजर गन से बेहोश कर देते हैं। मिल्स को लग जाता है, उनके साथ धोखा हुआ है। मिल्स के आदमी डायनासोरों की 11 प्रजातियों को एक शिप से लेकर द्वीप से रवाना हो जाते हैं और क्लेयर, ओवेन तथा फ्रेंक्लिन को वहीँ छोड़ देते हैं। द्वीप का ज्वालामुखी पूरी तरह फट पड़ता है। लगता है अब द्वीप पर कोई भी नहीं बचेगा...

हालाँकि इसमें कहानी का जो प्लॉट है, वह रोचक है। लेकिन फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती है, इसका जादू थोड़ा कम होता जाता है।  जुरासिक सीरीज की सबसे बड़ी खासियत हैं डायनासोर। लेकिन ऐसा लगता है कि इस फिल्म में मनुष्यों के चित्रण को ज़्यादा तवज्जो दी गई है। 

अच्छी कहानी के वावजूद पटकथा बहुत दमदार नहीं है और संवाद भी कई जगह थोड़े हलके लगते हैं। इसमें एक कहानी लॉकवुड की नातिन मेजी (इसाबेला सरमन) की भी चलती, जिसका कुछ मतलब इस फिल्म में नहीं समझ में आता। हो सकता है, अगली फिल्म में इस किरदार की अहमियत स्पष्ट हो।इस सीरीज की एक बड़ी खासियत घटनाओं और दृश्यों के प्रभाव से दर्शकों के मन में तनाव और डर पैदा करना। लेकिन इस क़िस्त में इसकी थोड़ी कमी दिखाई देती है। कई ऐसे दृश्य हैं, जिनमें डर और तनाव चरम पर जा सकता था, लेकिन वैसा नहीं हुआ।

फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है, यह विजुअली बहुत खूबसूरत है। सिनेमेटोग्राफी शानदार है और ग्राफिक्स कमाल के हैं। सारे सीन को बेहतरीन कौशल से फिल्माया गया है। पटकथा की कमियीं को सुन्दर दृश्यों और वीएफएक्स ने ढक दिया है। निर्देशक जे. ए. बेयोना ने कुल मिलाकर निराश नहीं किया है, उनका काम असाधारण नहीं, तो मामूली भी नहीं है। उन्होंने दुनिया के सामने जेनेटिक हथियारों के खतरों को सफलतापूर्वक रखा है।

कलाकारों में सबसे ज्यादा प्रभावित किया है ओवेन यानी क्रिस प्रैट ने। उनके एक्सप्रेशन और संवाद अदायगी अच्छी है। क्लेयर के रूप में हॉवर्ड भी अच्छी लगी हैं। जस्टिस स्मिथ भी कुछ हल्के-फुल्के क्षण देने में कामयाब रहे हैं तो  डेनियला ने भी डॉक्टर जिया के अपने किरदार को ठीक से निभाया है। खलनायक मिल्स के रूप में राफे बहुत प्रभावशाली नहीं लगे है, लेकिन फिर भी कामचलाऊ हैं। बाकी कलाकार भी कमोबेश ठीक हैं। इसमें कोई संदेह नहीं की यह फिल्म मनोरंजन करती है और एक बार देखने लायक है।

(8 जून को livehindustan.com में और 9 जून को हिंदुस्तान में सम्पादित अंश प्रकाशित)

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