वेब सिरीज ‘माफिया’ की समीक्षा
अतीत के भूत और जंगल में अमंगल
राजीव रंजन
निर्देशक : बिरसा दासगुप्ता
कलाकार: नमित दास, अनिंदिता बोस, मधुरिमा रॉय, सौरभ सारस्वत, तन्मय धनानिया, ईशा एम साहा, आदित्य बख्शी, अंकिता चक्रवर्ती, रिद्धिमा घोष, सायन बनर्जी, दीपक हलदर, एकावली खन्ना
स्टार- 3.5
कई बार आपका अतीत आपके वर्तमान को तहस-नहस कर देता है। वर्षों से गड़े मुर्दे अचानक आपके सामने आकर खड़े हो जाते हैं और आपकी जिंदगी में ऐसी उथल-पुथल मचा देते हैं कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते। ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही वेब सिरीज ‘माफिया’ की कहानी कुछ ऐसा कहने की कोशिश करती है।
कॉलेज के छह जिगरी दोस्त- नेहा (अनिंदिता बोस), ऋत्विक (सौरभ सारस्वत), तान्या (मधुरिमा रॉय), ऋषि (तन्मय धनानिया), अनन्या (ईशा एम साहा) और सैम(आदित्य बख्शी) छह साल बाद झारखंड के मधुबन में मिलने की योजना बनाते हैं। तान्या की सगाई का जश्न मनाने के लिए और अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर दोस्ती की नई इबारत लिखने के लिए। दरअसल, छह साल पहले वे जब उसी जगह पर स्थित ऋषि के बंगले में मिले थे, तो सब एक-दूसरे से लड़-भिड़ कर अलग-अलग हो गए थे। नेहा पत्रकार है और उसी की योजना है कि सब एक बार मिल कर पुराने दिनों को जिएं, पुरानी यादों को ताजा करें। ऋत्विक अपनी पत्नी प्रियंका (रिद्धिमा घोष) के साथ आता है। पहले की तरह ही सारे ‘माफिया’ गेम खेलना शुरू करते हैं, और फिर उनमें विवाद हो जाात है। सब एक दूसरे पर दोषारोपण करने लगते हैं। तभी एक अजनबी नितिन कुमार (नमित दास) जंगल में रास्ता भटक कर उनके बंगले पर मदद मांगने के लिए आता है। थोड़ी देर बाद तान्या का मंगेतर कुणाल (सायन बनर्जी) भी आ जाता है।
नितिन के आने के बाद बंगले और उसके आसपास अजीबोगरीब घटनाएं होने लगती है। ऐसी ऐसी चीजें होने लगती है कि सब बहुत डर जाते हैं। ऋषि को अचानक बिधुआ (अंकिता चक्रवर्ती) दिखाई देती है। वह बदहवास हो जाता है। हालांकि यहां आने के तुरंत बाद उसने बंगले के केयरटेकर मंगल काका (दीपक हलदर) से जब ऋषि ने बिधुआ के बारे में पूछा था, तो उन्होंने बताया था कि बिधुआ यहां से चली गई है। दरअसल छह साल पहले ऋषि और बाकी सारे लोग जब इस बंगले पर आए थे, तब बिधुआ ने यहां नौकरानी का काम किया था। सबको शक है कि इन डरावने वाकयात के पीछे नितिन का हाथ है, लेकिन इनके पीछे की कहानी कुछ और है। जो जैसा दिखता है, वास्तव में वैसा नहीं है। धीरे-धीरे सबके असली चेहरे सामने आने लगते हैं...
‘माफिया’, जैसाकि नाम से लगता है, कोई अपराध ड्रामा नहीं है। इसमें हिंसा नहीं है, गोलियां नहीं चलती हैं। यह एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। इसे बहुत शानदार तरीके से बनाया गया गया है। इसमें सस्पेंस और थ्रिल शानदार है। इसमें डर का माहौल कायम करने के लिए न तो भूत-प्रेत का सहारा लिया गया है और न हिंसा का। फिर भी रोमांच ऐसा है कि कई बार रोंगटे खड़े हो जाते है। हाल-फिलहाल में ऐसी वेब सिरीज कम बनी हैं, जिनकी स्क्रिप्ट इतने अच्छे ढंग से लिखी गई हो।
यह साइकोलॉजिक थ्रिलर है, लेकिन मूल रूप से गरीबों, वंचितों के साथ हर रोज होने वाली त्रासदियों का बयान भी है। सैकड़ों आदिवासी लड़कियां गायब हो जाती हैं, लेकिन उसकी किसी को परवाह नहीं है, क्योंकि वे गरीब हैं, वंचित हैं, कमजोर हैं। उनके होने, न होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। इस संदेश को लेखक-निर्देशक साइकोलॉजिकल थ्रिलर के माध्यम से दिया है और बहुत रोचक ढंग से दिया है। पहले ही एपिसोड से यह सिरीज बांध लेती है और खुद को एक बार में पूरा देख जाने के लिए मतबूर कर देती है। बिरसा दासगुप्ता का निर्देशन प्रभावित करता है। एडिटिंग भी बहुत चुस्त है और सिनमेटोग्राफी भी शानदार है। जंगल और झरने का दृश्य मनोरम है।
नमित दास ने इसमें बेहतरीन काम किया है। जब से परिदृश्य में आते हैं, रोमांच बढ़ जाता है। एक दबी-सहमी लड़की की भूमिका में ईशा एम साहा प्रभावित करती हैं। बड़े बाप की बिगड़ैल औलाद के रूप में तन्मय धनानिया का काम अच्छा है। अनिंदिता बोस, मधुरिमा रॉय, सौरभ सारस्वत, आदित्य बख्शी, अंकिता चक्रवर्ती, रिद्धिमा घोष, सायन बनर्जी, दीपक हलदर का काम भी उल्लेखनीय है। निस्संदेह यह एक देखने लायक सिरीज है।
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