वेब सिरीज ‘अनदेखी’ की समीक्षा
रोमांच दिखाने में कामयाब है अनदेखी
राजीव रंजन
निर्देशक : आशीष आर. शुक्ला
कलाकार: दिब्येंदु भट्टाचार्य, हर्ष छाया, अंकुर राठी, सूर्य शर्मा, आंचल सिंह, अभिषेक चौहान, अपेक्षा पोरवाल, आईन जोया, वरुण भगत
स्टार- 3
अमीर और प्रभावशाली लोगों के किसी की हत्या करके, किसी को कुचल कर, किसी को प्रताड़ित करके बेदाग बच निकल जाने की घटनाएं भारत में दुर्लभ नहीं है। ऐसा करने के बाद इन प्रभावशाली लोगों को रत्ती भर भी अफसोस नहीं होता। ऐसी ढेरों घटनाओं का हमारा समाज साक्षी रहा है। ऐसी घटनाओं पर फिल्में भी बनी हैं और अब वेब सिरीज भी बन रही हैं। ‘सोनी लिव’ की ताजातरीन वेब सिरीज ‘अनदेखी’ भी ऐसी ही घटनाओं से प्रेरित है।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में एक पुलिसकर्मी की हत्या हो जाती है। हत्या का शक शादी और अन्य समारोहों में डांस करने वाली दो आदिवासी लड़कियों पर है, जो अपने गांव से फरार हैं। डीएसपी बरुण घोष (दिब्येंदु भट्टाचार्य) उनकी खोज में मनाली पहुंचता है। शादी और अन्य समारोहों की फिल्म बनाने वाले सलोनी (आईन जोया), ऋषि (अभिषेक चौहान) और तीन अन्य युवा अपनी दोस्त तेजी (आंचल सिंह) की शादी की फिल्म बनाने मनाली पहुंचते हैं। मनाली के एक बेहद प्रभावशाली आदमी पापाजी (हर्ष छाया) के बेटे दमन अटवाल (अंकुर राठी) की शादी उनके अपने रिजॉर्ट में हो रही है। दमन का कजिन राजेन्द्र सिंह अटवाल उर्फ रिंकु (सूर्य शर्मा) शादी की व्यवस्था को संभाल रहा है। पापाजी के सारे काम भी वही संंभालता है। शादी के एक फंक्शन में नशे में धुत पापाजी एक महिला डांसर को गोली मार देते हैं। डांसर की हत्या को घटना को ऋषि देख लेता है और रिकॉर्ड भी कर लेता है।
फिर इन घटनाओं के तार एक-दूसरे से जुड़ते हैं। बंगाल के डीएसपी घोष को पूरा यकीन है कि सुंदरबन से फरार दोनों लड़कियां इसी शादी में डांस करने आई हैं। दो डांसर में जिंदा बची एक डांसर कोयल (अपेक्षा पोरवाल) और उनके एजेंट प्रफुल्ल (उत्तम हालदार) को रिंकू कैद कर लेता है। ऋषि संवेदनशील है और कोयल तथा प्रफुल्ल की मदद करना चाहता है। सलोनी जान का डर दिखा कर उसे ऐसा करने से मना करती है... फिर शुरू होता है शह-मात, सौदेबाजी, मारने-बचने की रोमांचक दौड़...
इस क्राइम थ्रिलर सिरीज में रोमांच है। पटकथा पर मेहनत की गई है। हालांकि मोहिंदर प्रताप सिंह, उमेश पदालकर और सिद्धार्थ सेनगुप्ता द्वारा लिखी गई स्क्रिप्ट में कई छेद भी हैं, जो आसानी से दिख भी जाते हैं। पहले तीन-चार एपिसोड में तो इसमें गजब का रोमांच है, मगर सिरीज जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, इसमें कई अवांतर कथाएं भी जुड़ती जाती हैं, जिससे इसकी रफ्तार धीमी पड़ती है और रोमांच में भी थोड़ी कमी आती है। लेकिन यह बेपटरी नहीं होती। इन कमियों को छोड़ दें, तो यह बांधे रखती है। आशीष आर. शुक्ला का निर्देशन अच्छा है। उन्होंने सिरीज को ज्यादा हिलने-डुलने नहीं दिया है। अभिनेता वरुण वडोला इस बार एक नए अवतार में हैं। संवाद लेखक के अवतार में, और इसमें भी प्रभावित करते हैं। दूसरी ढेरों वेब सिरीज की तरह इसमें भी ‘स्क्रिप्ट की मांग’ पर गालियां बेशुमार हैं और बेजरूरत भी। सिनमेटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक बढ़िया है।
इस सिरीज में कलाकारों ने शानदार काम किया है। उन्होंने कमियों को अपने कौशल से ढक दिया है। रिंकू की भूमिका में सूर्य शर्मा ने कमाल का काम किया है। एक दबंग, क्रूर और धूर्त नौजवान की भूमिका को उन्होंने जीवंत कर दिया है। डीसीपी घोष की भूमिका में दिब्येंदु भट्टाचार्य का अभिनय बहुत रोचक है। उनकी एक खास शैली है,जो जंचती भी है। एक अय्याश, पियक्कड़, बदमिजाज बुजुर्ग की भूमिका को हर्ष छाया ने साकार कर दिया है। अंकुर राठी ने परिवार और प्रेमिका के बीच फंसे दमन के किरदार को प्रभावी तरीके से पेश किया है। ऋषि के रूप में अभिषेक चौहान प्रभावित करते हैं, सलोनी की भूमिका में आईन जोया बिल्कुल फिट हैं। तेजी की भूमिका में आंचल सिह भी प्रभावित करती हैं। रिंकू के करीबी लकी की भूमिका में वरुण भगत जमे हैं। अपेक्षा पोरवाल ने कोयल की भूमिका के साथ न्याय किया है। बाकी सारे कलाकारों ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
कुछ कमियों के बावजूद यह वेब सिरीज पर्याप्त मनोरंजन करती है।
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