अनुभूति

राजीव रंजन
तुमको,
छूआ नहीं जा सकता
देखा नहीं जा सकता
सिर्फ महसूस किया जा सकता है
क्योंकि तुम तो अनुभूति मात्र हो.
तुमको,
पाकर भी साथ
निभाया नहीं जा सकता
क्योंकि तुम तो रेत की तरह हो,
जो मुट्ठियों से फिसल जाती है
और पैरों तले से सरक जाती है.