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... इसलिए उदास हो जाता हूं

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राजीव रंजन कई बार उदास हो जाने को जी चाहता है कई बार उदासी बड़ी अच्‍छी लगती है कई बार दिन भर की चहल-पहल से उब कर जीने की जद्दोजहद में घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक के सफर से थक जाने के बाद बत्तियां बुझाकर चुपचाप लेट जाना अतीत की राहों पर चलना गुजरे लम्‍हों को फिर से गुनना और बीते वक्‍त को जी कर उदास हो जाना अच्‍छा लगता है जिंदगी का हासिल खुशी ही नहीं है कभी-कभी उदासी भी आदमी को जिंदा कर देती है। इसलिए कई बार उदास हो जाता हूं।