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वेब सिरीज ‘आश्रम’ की समीक्षा

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पाखंड ,  अपराध और राजनीति के गठजोड़ का  ‘ आश्रम ’ राजीव रंजन कलाकार: बॉबी देओल ,  अदिति पोहनकर ,  चंदन राय सान्याल ,  तुषार पांडेय ,  अनुप्रिया गोयनका ,  दर्शन कुमार ,  अध्ययन सुमन ,  त्रिधा चौधरी ,  विक्रम कोचर ,  सचिन श्रॉफ ,  राजीव सिद्धार्थ ,  तन्मय रंजन ,  अनुरिता झा निर्देशक : प्रकाश झा तीन स्टार पंजाब और हरियाणा  ‘ डेरों ’  की स्वीकार्यता बहुत है और इन प्रदेशों की राजनीति में भी इनका खासा प्रभाव है। इसलिए अक्सर यह देखने में आया है कि राजनीतिक दलों के नेता इन डेरों के प्रमुखों का समर्थन हासिल करने के लिए उनसे मिलते रहते हैं। दरअसल ,  डेरों की समाज में पकड़ का एक बड़ा कारण यह है कि इन्होंने समाज के वंचित ,  दलित ,  पिछड़े तबके को काफी स्पेस दिया और उनके जीवन को बेहतर बनाने में सहयोग किया। इनमें कुछ डेरों के प्रमुख काफी विवादास्पद भी रहे और उन्होंने अपने प्रभाव का नाजायज इस्तेमाल किया। उनमें से कुछ को जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद भी उनके समर्थक उनके लिए खड़े रहे। प्रकाश झा निर्देशित और बॉबी देओल की मुख्य भूमिका वाली वेब सिरीज  ‘ आश्रम ’  एक ऐसे  ही  ‘ बाबा ’  की कहानी है ,  जो धर्म और सेवा

फिल्म ‘मी रक्सम’ की समीक्षा

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कला के बंटवारे के खिलाफ खड़ी फिल्म राजीव रंजन निर्देशक : बाबा आजमी कलाकार: नसीरुद्दीन शाह ,  दानिश हुसैन ,  श्रद्धा कौल ,  राकेश चतुर्वेदी ओम ,  अदिति सुबेदी ,  सुदीप्ता सिंह ,  कौस्तुभ शुक्ला ,  फारुक जफर तीन स्टार जा हिद-ए-तंग नजर ने काफिर जाना मुझे काफिर ये समझता है मुसलमां हूं मैं।’ जो भी लोग धार्मिक रुढ़ियों को तोड़ अलग लीक बनाने की कोशिश करते हैं ,  उन्हें अपने समाज की नाराजगी तो झेलनी ही पड़ती है ,  दूसरे पक्ष के कुछ ठेकेदार भी उनको उपेक्षा की नजर से देखते हैं। इससे कुछ लोग तो घबराकर हार मान लेते हैं ,  लेकिन कुछ लोग डटे रहते हैं। ऐसे ही लोग समाज में नई परंपराओं को जन्म देते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म  ‘ जी  5’  पर रिलीज हुई बाबा आजमी द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म  ‘ मी रक्सम ’  इसी का संदेश देती है। इस फिल्म का नाम भी सांस्कृतिक समन्वय का संदेश देता है ,  जो अंग्रेजी ,  अरबी-फारसी और संस्कृत की ध्वनियों से युक्त है। यह फिल्म भारत की गंगा-जमुनी तहजीब के खूबसूरत रंगों को पर्दे पर बिखेरती है। यह फिल्म गंगा-जमुनी तहजीब के पैरोकार विख्यात शायर कैफी आजमी को श्रद्धांजलि भी है। कैफी साहब ने

फिल्म ‘खुदा हाफिज’ की समीक्षा

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घिसी-पिटी कहानी और घिसा-पिटा अंदाज राजीव रंजन निर्देशक : फारुक कबीर कलाकार: विद्युत जामवाल ,  शिवालिका ओबेरॉय ,  अन्नू कपूर ,  शिव पंडित ,  आहना कुमरा ,  बिपिन शर्मा ,  नवाब शाह दो स्टार एक कहावत है-  ‘ काठी की हांडी बार-बार आग पर नहीं चढ़ती ’,  पर बॉलीवुड के लिए ऐसी व्यावहारिक कहावतें मायने नहीं रखतीं। इसीलिए यहां एक ही विषय पर घिसे-पिटे अंदाज में फिल्में बनाने की परंपरा जमाने से चली आ रही है। इसी सिलसिले में एक और फिल्म शामिल हो गई है , ‘ खुदा हाफिज ’,  जो ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर दिखाई जा रही है। भारत से असंख्य लोग रोजगार के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ,  सउदी अरब ,  कतर ,  कुवैत ,  ओमान आदि खाड़ी देशों में जाते हैं। उनमें से अनेक अपने भारतीय एजेंटों की धोखाधड़ी का शिकार होकर वहां बुरी तरह फंस जाते हैं। उनकी जिंदगी नरक बन जाती है।  ‘ खुदा हाफिज ’  की कहानी का एक सिरा इस पहलू से भी जुड़ा है ,  तो दूसरा सिरा प्रेम से जुड़ा है। समीर चौधरी (विद्युत जामवाल) और नर्गिस चौधरी (शिवालिका ओबेराय) पति-पत्नी हैं। दोनों एक-दूसरे से टूट कर प्यार करते हैं। अभी शादी को कुछ ही दिन बीते ह

फिल्म ‘गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल’ की समीक्षा

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युद्धक्षेत्र में उड़ान भरने वाली पहली महिला पायलट की गौरवगाथा राजीव रंजन निर्देशक : शरण शर्मा कलाकार: जाह्नवी कपूर ,  पंकज त्रिपाठी ,  अंगद बेदी ,  विनीत कुमार ,  मानव विज ,  आयशा रजा ,  चंदन के. आनंद ,  आर्यन अरोरा ,  रीवा अरोरा स्टार-  3 एक समय था ,  जब महिलाएं सेना में न के बराबर होती थीं। होती भी थीं ,  तो इंजीनियरिंग ,  मेडिकल ,  कानूनी ,  सिग्नल और शैक्षिक विंग जैसे विभागों में। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में स्थितियां बदली हैं। अवनि चतुर्वेदी ,  भावना कंठ और मोहना सिंह आज कॉम्बैट पायलट बन लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। नौसेना में भी अब महिलाएं पहुंच गई हैं। भारतीय सेना ने भी अब महिलाओं की क्षमता को देखते हुए उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने का फैसला किया है।  100  महिला सैनिकों के पहले बैच को मार्च , 2021  तक कमीशन प्रदान किए जाने की संभावना है। आज जो स्थितियां बदली हैं ,  उनमें गुंजन सक्सेना जैसी महिलाओं की अहम भूमिका है। उन्होंने अपनी क्षमता ,  लगन और दृढ़ता से लड़कियों को आसमान में उड़ान भरने की प्रेरणा दी है। गुंजन युद्ध क्षेत्र में हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली वायुसेना की पहली महिला पायलट थीं। उन्होंने

फिल्म ‘लूटकेस’ की समीक्षा

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अपराध-राजनीति का गठजोड़ और आम आदमी की दुविधा राजीव रंजन निर्देशक : राजेश कृष्णन कलाकार: कुणाल खेमू ,  रसिका दुग्गल ,  रणवीर शौरी ,  विजय राज ,  गजराज राव ,  आर्यन प्रजापति ,  नीलेश दिवेकर ,  आकाश दभाड़े स्टार- 3 नाजायज पैसा आम आदमी के लिए पचाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसा पैसा उसे मुश्किलों में डाल देता है ,  उसकी जिंदगी में उथल-पुथल मचा देता है। इसलिए ईमानदारी की कमाई ही उसके लिए अच्छी है ,  क्योंकि तमाम दिक्कतों के बावजूद कम से कम वह अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन तो बिता सकता है।  ‘ रुखा सुखा खाय के ठंडा पानी पीव ,  देख पराई चुपड़ी मत ललचावै जीव ’  यही संदेश देती है फिल्म  ‘ लूटकेस ’,  जो ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर प्रसारित की जा रही है। नंदन कुमार (कुणाल खेमू) मुंबई के एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता है। दिन-रात मेहनत करने के बावजूद वह अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता। उसकी पत्नी लता (रसिका दुग्गल) हमेशा पैसे की तंगी की शिकायत करती रहती है ,  तो बेटा आयुष (आर्यन प्रजापति) की मांगें कभी खत्म नहीं होतीं। एक दिन नंदन को रास्ते में एक लाल रंग का सूटकेस मिलता है ,  जिसमें 

फिल्म ‘परीक्षा- द फाइनल टेस्ट’ की समीक्षा

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लोगों से दूर होती महंगी शिक्षा पर टिप्पणी राजीव रंजन निर्देशक : प्रकाश झा कलाकार: आदिल हुसैन , संजय सूरी , प्रियंका बोस , शुभम झा , शौर्य दीप , अनंत कुमार गुप्ता , सीमा सिंह , शीना राजपाल स्टार- 2.5 प्रकाश झा उन फिल्मकारों में से हैं , जो अपनी फिल्मों के जरिये राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी करने के लिए जाने जाते हैं। ‘ दामुल ’ से लेकर ‘ मृत्युदंड ’, ‘ गंगाजल ’, ‘ अपहरण ’, ‘ राजनीति ’, ‘ आरक्षण ’, ‘ चक्रव्यूह ’, ‘ सत्याग्रह ’ और अब ‘ परीक्षा ’ से वे इस सिलसिले को बनाए हुए हैं। ‘ परीक्षा ’ को उन्होंने सिनेमाघरों को ध्यान में रख कर बनाया था , लेकिन कोरोना से उपजी अभूतपूर्व परिस्थितियों की वजह से यह फिल्म ओटीटी प्लैटफॉर्म ‘ जी 5’ पर रिलीज हुई है। यह भी एक संयोग है कि फिल्म तब आई है , जब देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा हुई है। वैसे तो भारत में शिक्षा व्यवस्था हमेशा एक सामयिक विषय रही है , लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह और सामयिक हो गई है। पिछले कुछ दशकों में भारत में सरकारी शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होती गई है। एक समय ऐसा था , जब सरकारी स्कूल भले कम थे और साक्षरता दर भी कम थ

वेब सिरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ की समीक्षा

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एक सुरीली सिरीज ,  जो मन को तृप्त कर देती है राजीव रंजन निर्देशक : आनंद तिवारी कलाकार: नसीरुद्दीन शाह ,  श्रेया चौधरी ,  ऋत्विक भौमिक ,  शीबा चड्ढा ,  अतुल कुलकर्णी ,  राजेश तैलंग ,  कुणाल रॉय कपूर ,  अमित मिस्त्री ,  त्रिधा चौधरी ,  मेघना मलिक चार स्टार अमूमन अपराध ,  हिंसा और राजनीतिक पूर्वग्रहों से भरी वेब सिरीज के बीच  ‘ बंदिश बैंडिट्स ’  मलय पर्वत से चलने वाली हवा की मानिंद सुगंध और ताजगी से भरी लगती है। जमाने के बाद संगीत पर आधारित कुछ ऐसा देखने को मिला है ,  जो रस में सराबोर कर देता है। यह कहानी है संगीत सम्राट राठौर घराने के पं. राधे मोहन राठौर (नसीरुद्दीन शाह) और उनके परिवार की ,  जिसमें उनका बड़ा बेटा राजेंद्र (राजेश तैलंग) ,  बहू मोहिनी (शीबा चड्ढा) ,  छोटा बेटा देवेंद्र (अमित मिस्त्री) और पोता राधे (ऋत्विक भौमिक) हैं। यह कहानी पॉप संगीत की उभरती कलाकार तमन्ना (श्रेया चौधरी) की भी है ,  जो पॉप संगीत में मुकाम बनाना चाहती है। पंडित जी बहुत सख्त हैं और संगीत को लेकर कोई समझौता नहीं करते। राधे पंडित जी का उत्तराधिकारी बनना चाहता है। संयोग से एक दिन तमन्ना की मुलाकात राधे से हो ज