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500 करोड़ी क्लब और चीन में दंगल

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राजीव रंजन बस कुछ घंटों में यह साल 2017 भी बीत जाएगा और हर बीते साल की तरह इसकी भी कुछ खट्टी मीठी यादें हमारे जेहन में रह जाएंगी। इस वर्ष जीवन के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां देखने को मिलीं। बॉलीवुड भी इस वर्ष दो ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा, जिसने भारतीय सिनेमा में ऐसा मील का पत्थर स्थापित किया है, जिसे पार करना आासान नहीं होगा। और इन उपलब्धियों का श्रेय जाता है ‘बाहुबली 2’ और ‘दंगल’ को। इन दोनों फिल्मों ने यह दिखाया कि भारतीय सिनेमा किन ऊंचाइयों पर जा सकता है। उसमें कितनी संभावनाएं हैं। वहीं कुछ सितारे इस दुनिया को अलविदा भी कह गए। ‘बाहुबली 2’ ने जहां घरेलू बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए, वहीं ‘दंगल’ ने चीन में ऐसा धमाल मचाया कि लोग हैरान रह गए। आमिर खान की ‘पीके’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर ‘300 करोड़ी क्लब’ की शुरुआत तो पहले ही कर दी थी और उनकी ‘दंगल’ (387 करोड़ रुपये) चार सौ करोड़ रुपये के करीब पहुंची थी, लेकिन वह ‘400 करोड़ी क्लब’ नहीं शुरू कर सकी। बॉलीवुड को इस क्लब का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन ‘बाहुबली’ ने सीधे ‘500 करोड़ी क्लब’ की शुरुआत कर दी। हिंदी, त

टाइगर लौटा है, ज्यादा धूमधड़ाके के साथ

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राजीव रंजन फिल्म: टाइगर जिंदा है निर्देशक: अली अब्बास जफर कलाकार: सलमान खान, कैटरीना कैफ, परेश रावल, कुमुद मिश्रा, अंगद बेदी, गिरीश कर्नाड, सज्जाद देलाफरोज, अनुप्रिया गोयनका रेटिंग: 2.5 स्टार वीडियो रिव्यू भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के आम लोग अमन पसंद हैं और वे नहीं चाहते कि दोनों मुल्क आपस में लड़ें। लेकिन ये बात दोनों देश के नेताओं के एजेंडे को सूट नहीं करती। यह विषय बॉलीवुड को काफी पसंद है और यही वजह है कि इस थीम को केंद्र में रख कर बॉलीवुड कई फिल्में बना चुका है। ‘टाइगर जिंंदा है’ और इसकी पहली किश्त ‘एक था टाइगर’ के केंद्र में भी यही विचार है। वैसे यशराज बैनर की ही यश चोपड़ा निर्देशित ‘वीर जारा’ का भी संदेश यही था। पर उस फिल्म में यह संदेश विशुद्ध प्रेम कहानी के जरिये दिया गया था, जबकि ‘टाइगर जिंदा है’ में यह संदेश एक्शन की जबरदस्त खुराक के साथ दिया गया है। हालांकि इसमें भी प्रेम है, पर एक्शन उस पर बहुत भारी है। यह फिल्म इराक में भारतीय नर्सों के अपहरण और उनके बचाव ऑपरेशन पर आधारित है। 'एक था टाइगर' में रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौड़ उर्फ टाइगर (सलमान खान)और आईए

सच्चे अर्थों में भारत रत्न थे श्रीनिवास रामानुजन

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राजीव रंजन भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने जो काम केवल 32 वर्ष की उम्र में कर दिया, वैसा शायद ही देखने को मिलता है। इसीलिए उन्हें आधुनिक समय के सबसे महान गणितज्ञों में से एक माना जाता है। श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के छोटे-से गांव ईरोड में हुआ था। उन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला था, फिर भी उन्होंने गणित के क्षेत्र में ऐसे सिद्धांत दिए कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। उन्होंने अपनी गणितीय खोजों से पूरी दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया। उन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने छोटे से जीवनकाल में गणित के 3,884 प्रमेयों (थ्योरम) का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किए जा चुके हैं। रामानुजन ने अपनी प्रतिभा की बदौलत जो खोजें कीं, उनके आधार पर कई शोध हुए। उनके सूत्र (फॉर्मूला) कई वैज्ञानिक खोजों में मददगार बने। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिए रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई है। रामानुजन ने जो भी उपलब्धि हासिल की, वह अपनी प्रतिभा के दम पर की। रामानुजन की मां का नाम कोमलताम्मल और पिता का नाम

मजा वही, पर सादगी वैसी नहीं

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राजीव रंजन फिल्म: फुकरे रिटर्न्स 2.5 स्टार (ढाई स्टार) कलाकार: वरुण शर्मा, पुलकित सम्राट, ऋचा चड्डा, मनजोत सिंह, अली फजल, पंकज त्रिपाठी, प्रिया आनंद, विशाखा सिंह, राजीव गुप्ता निर्देशक: मृगदीप लाम्बा किसी सफल फिल्म के सीक्वल के साथ एक अच्छी बात यह होती है कि उसे लेकर लोगों में उत्सुकता बनी रहती है। इस तरह उसे एक शुरुआती लाभ मिल जाता है। लेकिन इसके साथ साथ एक जोखिम भी जुड़ा रहता है कि लोग उसकी तुलना पिछली फिल्म से करते हैं। और फिल्म उस कसौटी पर खरी नहीं उतरती तो नकार दी जाती है। ‘फुकरे रिटर्न्स’ को फायदा तो मिल ही चुका है और जहां तक तुलना की बात है तो फिल्म उस कसौटी पर भी निराश नहीं करती। हालांकि यह जरूर है कि 2013 में आई ‘फुकरे’ को लोगों ने उसके किरदारों व कहानी की जिस सरलता और गुदगुदाने वाली कॉमेडी के लिए पसंद किया था, वह ‘रिटर्न’ में नहीं मिलती। अगर कॉमेडी की बात करें तो वह पूरी तरह मौजूद है। शायद ही कोई ऐसा सीन हो, जिसमें हंसी की फुहारें नहीं हैं। लेकिन वो सादगी और सरलता ‘मिसिंग’ है। दरअसल पिछली फिल्म में जो नेताजी महज संदर्भ के लिए थे, इस बार वह कहानी का अहम हिस्सा ह

शशि कपूर: सार्थक सिनेमा का मुहाफिज

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राजीव रंजन शशि कपूर भी कमाल के शख्‍स थे। अभिनेता के रूप में मुख्‍यधारा के सिनेमा से कमाया और निर्माता के रूप में ‘जुनून’, ‘उत्‍सव’, ’36 चौरंगी लेन’ और ‘कलयुग’ जैसी ऑफबीट फिल्‍मों में लगाया। ये एक कलाकार के रूप में उनकी संजीदगी को दिखाता है। उनकी मुख्‍य पहचान ठेठ मुंबइया हीरो के रूप में रही, जो हीरो के लिए बॉलीवुड के बनाए पैमाने पर खरा उतरता था। लेकिन उन्‍होंने अपने करियर के पीक पर ‘सिद्धार्थ’ जैसी बिल्‍कुल अलग तरह की फिल्‍म की। एक समय में ढेर सारी फिल्‍में करने की वजह से ‘टैक्‍सी’ का खिताब पाने वाले शशि कपूर थियेटर के लिए भी उतने ही संजीदा रहे। उन्‍होंने अपने पिता के ‘पृथ्‍वी थियेटर’ को पुनर्जीवित किया। एक सदाबहार अभिनेता और संजीदा शख्‍स शशि कपूर को सादर श्रद्धांजलि। उनकी आंखों में एक चमक थी। वैसी ही चमक, जो झरने के शफ्फाक पानी पर सूर्य की किरणों से पैदा होती है। वह चमक उनके अभिनय में भी दिखाई देती थी। फिल्म ‘त्रिशूल’ में जब वह कहते हैं कि ‘मोहब्बत बड़े काम की चीज है’ तो वह महज अभिनय करते नहीं दिखते, बल्कि उन शब्दों को उनके संपूर्ण अर्थ के साथ जीते दिखाई देते हैं। भारतीय सिनेमा

वक्त की बर्बादी है ‘ये इंतजार’

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राजीव रंजन कलाकार: अरबाज खान, सनी लियोने, आर्य बब्बर, गौहर खान, सुधा चंद्रन निर्देशक: राजीव वालिया संगीत: राज आशू रेटिंग- 1 स्टार ये फिल्म क्यों बनाई गई है और किसके लिए बनाई गई है, पूरी फिल्म देखने के बाद भी इसका उत्तर खोज पाना बड़ा कठिन है। ये क्राइम-थ्रिलर है या हॉरर है या रोमांटिक फिल्म है, यह भी तय कर पाना कठिन है। हालांकि फिल्म का शुरुआती का दृश्य थोड़ी-बहुत उत्सुकता जगाने वाला है, अविश्वसनीय होने के बावजूद। लेकिन उसके बाद सारी चीजें इतनी घिसी-पिटी होती हैं कि कोफ्त होने लगती है। वीर सिंह राजपूत (अरबाज खान) एक पेंटर है। वह अपनी ड्रीम गर्ल की तस्वीर बनाता है। जब तस्वीर पूरी हो जाती है तो उसे ठीक तस्वीर वाली लड़की दिखाई देती है। उस लड़की का नाम रौनक (सनी लियोने) है। वीर उसका पीछा करता है। रौनक एक आर्ट क्यूरेटर है। वीर उसकी गैलरी में अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाना चाहता है। रौनक उससे कहती है कि गैलरी में सिर्फ एक्सक्लूसिव पेंटिंग लगााई जाती हैं। वीर उसे अपनी ड्रीम गर्ल वाली पेंटिंग दिखाता है। रौनक यह देख कर हैरान हो जाती है। फिर दोनों में प्यार हो जाता है। दोनों ‘तुम मेरा साथ