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नवंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिल्म ‘भैयाजी सुपरहिट’ की समीक्षा

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काश! नाम से ही सब काम हो जाता! राजीव रंजन कलाकार: सनी देओल, प्रीटि जिंटा, अरशद वारसी, श्रेयस तलपड़े, अमीषा पटेल, जयदीप अहलावत, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, बृजेंद्र काला, हेमंत पांडेय निर्देशक: नीरज पाठक डेढ़ स्टार (1.5 स्टार) कुछ फिल्मों को देख कर लगता कि स्टॉक क्लीयरेंस चल रहा है। माल बन गया है तो सेल पर लगा दो। कुछ ग्राहक तो आ ही जाएंगे। अब कुछ नहीं से तो थोड़ा कुछ बेहतर ही है। इस हफ्ते रिलीज हुई सनी देओल की ‘भैयाजी सुपरहिट’ भी स्टॉक क्लीयरेंस टाइप फिल्म है। यह फिल्म काफी हां-ना के बाद कई वर्षों में बन कर तैयार हुई है। एक कहावत है- ‘देर आयद दुरुस्त आयद’, लेकिन इस फिल्म पर यह बिल्कुल लागू नहीं होती। यह कहानी है बनारस के देवी दयाल दुबे ऊर्फ भैयाजी (सनी देओल) की, जो शहर के डॉन हैं। भैयाजी कुछ दिनों से इमोशनली गड़बड़ा गए हैं, क्योंकि उनकी पत्नी सपना दुबे (प्रीटि जिंटा) उन्हें छोड़ कर चली गई हैं। भैयाजी के चाचा (बृजेंद्र काला) और दूसरे चेले उन्हें लेकर मनोचिकित्सक डॉ. ज्ञानप्रकाश बुद्धिसागर (संजय मिश्रा) के पास जाते हैं। डॉक्टर साहब उन्हें कुछ सलाह देते हैं, लेकिन वो काम नहीं आती।

मोहल्ला अस्सी की समीक्षा

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अपने समय और समाज का बयां राजीव रंजन कलाकार: सन्नी देओल, साक्षी तंवर, रवि किशन, सौरभ शुक्ला, फैसल रशीद, मिथिलेश चतुर्वेदी, राजेंद्र गुप्ता, मुकेश तिवारी, सीमा आजमी, अखिलेंद्र मिश्रा,  निर्देशक: डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ढाई स्टार (2.5 स्टार) सन् 1980 के दशक के आखिरी वर्षों और 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों में भारत तीन बड़ी घटनाओं- मंडलीकरण, कमंडलीकरण और भूमंडलीकरण का गवाह बना। इन युगांतरकारी घटनाओं ने भारतीय समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला। अपनी परम्पराओं पर प्राण देने वाली महादेव की नगरी काशी भी इससे अछूती नहीं रही। प्रसिद्ध साहित्यकार काशीनाथ सिंह की किताब ‘काशी का अस्सी’ पर आधारित डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ इसी दौर पर एक टिप्पणी है। विवादों में फंसी यह फिल्म कई वर्षों से रिलीज का इंतजार कर रही थी, आखिरकार यह सिनेमाघरों में आ गई। इससे निर्माता-निर्देशक को निश्चित रूप से कुछ राहत मिली होगी। यह फिल्म राजनीति व बाजारीकरण के प्रभावों से समाज, मूल्यों और परम्पराओं में पैदा हुई हलचल को बयां करती है। अस्सी मोहल्ले में स्थित पप्पू की चा

पत्रकार और फिल्मकार विनोद कापरी से फिल्म "पिहू" पर बातचीत

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यह सिर्फ एक कहानी नहीं ,  बड़ा सामाजिक मुद्दा भी है: विनोद कापरी सिर्फ दो साल की एक बच्ची के साथ बनाई गई इकलौते किरदार वाली  ‘ सोशियो-थ्रिलर ’  फिल्म  ‘ पीहू ’  का ट्रेलर लोगों को काफी लुभा रहा है। इसकी प्रशंसा अमिताभ बच्चन और मनोज बाजपेयी जैसे बड़े अभिनेता भी कर चुके हैं। इस फिल्म का निर्देशन पत्रकार विनोद कापरी ने किया है। वह इससे पहले फिल्म  ‘ मिस टनकपुर हाजिर हो ’  का निर्देशन भी कर चुके हैं।  ‘ पीहू ’  को लेकर  राजीव रंजन  की  विनोद कापरी  से बातचीत: ‘ पीहू ’  बनाने का विचार मन में कैसे आया ? मेरे घर में एक डॉग है पिछले छह साल से। कई बार हम उसे काफी देर के लिए अकेले छोड़ कर चले जाते थे। तब मुझे ख्याल आता था कि वह बेजुबान जीव घर में अकेले कैसे रहता होगा। इसी तरह कई युवा दंपती हैं ,  जो नौकरी की वजह से अपने छोटे बच्चों को आया ,  नौकरानी के सहारे छोड़ कर चले जाते हैं। कई बार वो आया भी किसी काम के लिए बच्चों को अकेले छोड़ कर चली जाती हैं। मैं खुद कई ऐसे परिवारों को जानता हूं ,  जहां पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं और अपने छोटे बच्चों को छोड़ कर चले जाते हैं। तब मेरे दिमाग में एक आइड