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फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की समीक्षा

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मोदी के कद के आसपास भी नहीं ये फिल्म राजीव रंजन निर्देशक: ओमंग कुमार कलाकार: विवेक ओबेरॉय ,  मनोज जोशी ,  प्रशांत नारायणन ,  बोमन ईरानी ,  जरीना वहाब, अंजन श्रीवास्तव 2  स्टार (दो स्टार) जब किसी प्रसिद्ध और लोकप्रिय हस्ती के जीवन पर कोई फिल्म बनती है ,  तो निर्माता ,  निर्देशक और लेखक की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। और जब बात नरेंद्र मोदी जैसे बेहद लोकप्रिय राजनेता की हो ,  तो जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन  ‘ पीएम नरेंद्र मोदी ’  बहुत जल्दबाजी में बनाई गई है और ये जल्दबाजी फिल्म को देखते वक्त स्पष्ट रूप से नजर आती है। ऐसा लगता है कि जिस तरह भारतीय जनता पार्टी के कई सांसद नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़े और जीते ,  उसी तरह लगता है कि फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने भी नरेंद्र मोदी के नाम के आसरे ही फिल्म बना डाली है। फिल्म की शुरुआत नरेंद्र मोदी के बचपन से होती है और प्रधानमंत्री के रूप उनके शपथ ग्रहण से इसका समापन होता है। फिल्म के ज्यादातर हिस्से में उनके राजनीतिक जीवन का चित्रण ही है कि किस प्रकार वे भाजपा के एक आम कार्यकर्ता से देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचे।

फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ की समीक्षा

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हंसी की छौंक के साथ बेमेल उम्र के प्यार की उलझनें राजीव रंजन निर्देशक: आकिव अली कलाकार: अजय देवगन ,  रकुल प्रीत सिंह ,  तब्बू ,  जावेद जाफरी ,  जिमी शेरगिल ,  कुमुद मिश्रा ,  आलोक नाथ ,  मधुमालती कपूर ,  सन्नी सिंह ,  भाविन भानुशाली ,    इनायत ,  राजवीर सिंह 2.5 Star बड़ी उम्र का आदमी और उसकी बेटी की उम्र की लड़की ,  दोनों के बीच प्यार ,  फिर उम्र के अंतर की वजह से  पैदा होने वाली जटिलताएं... यह कोई नया विषय नहीं है। आधी सदी से भी ज्यादा समय पहले भगवतीचरण वर्मा ने अपने उपन्यास  ‘ रेखा ’  में एक ऐसे ही रिश्ते की जटिलताओं को पाठकों को सामने पेश किया था। इस विषय पर पिछले दशक में  ‘ चीनी कम ’  जैसी फिल्में भी बनी।  ‘ दे दे प्यार दे ’  भी इसी विषय पर आधारित एक फिल्म है ,  लेकिन फर्क यह है कि यह बात को थोड़े कॉमिक अंदाज में पेश करती है। ‘ प्यार का पंचनामा ’  और  ‘ सोनू के टीटू की स्वीटी ’  जैसी मनोरंजक कॉमेडी फिल्मों के निर्देशक लव रंजन इसके निर्माता हैं ,  तो उनकी इन फिल्मों के एडिटर आकिव अली इसके निर्देशक। लिहाजा उनकी पिछली फिल्मों का फ्लेवर भी इसमें दिखना स्वाभाविक है। 50

फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2’ की समीक्षा

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पास होने लायक नहीं हैं ये स्टूडेंट राजीव रंजन निर्देशक: पुनीत मल्होत्रा कलाकार: टाइगर श्रॉफ ,  अनन्या पांडेय ,  तारा सुतारिया ,  आदित्य सील ,  गुल पनाग ,  मनोज पाहवा ,  समीर सोनी 2  स्टार (दो स्टार) इन दिनों बॉलीवुड में भी एक परंपरा-सी चल पड़ी है कि अगर कोई फिल्म हिट हो गई ,  तो उसका सीक्वल बना डालो या उसमें  2, 3  या आगे-पीछे कुछ जोड़ कर दर्शकों के सामने परोस दो।  इससे एक फायदा होता है कि फिल्म को लेकर दर्शकों में एक उत्सुकता पैदा हो जाती है और बिना किसी विशेष प्रयास के वह चर्चा में भी आ जाती है। लेकिन इसके साथ एक खतरा भी जुड़ जाता है कि उसकी तुलना पिछली फिल्म से अवश्यंभावी हो जाती है। अगर फिल्म थोड़ी भी ठीक हुई ,  तो काम बन जाता है और नहीं हुई ,  तो उसके पिटने का खतरा भी बढ़ जाता है। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन की  ‘ स्टूडेंट ऑफ द ईयर  2’  इस सिलसिले में ताजातरीन नाम है। रोहन (टाइगर श्रॉफ) मसूरी के एक साधारण ज्योतिषी का बेटा है। वह वहीं के पिशोरीमल कॉलेज में पढ़ता है। उसकी बचपन की गर्लफ्रेंड मृदुला उर्फ मिया (तारा सुतारिया) का दाखिला देहरादून के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट टेरे

फिल्म ‘रोमियो अकबर वॉल्टर’ की समीक्षा

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रोमांचित नहीं करता तीन नामों वाला ये जासूस राजीव रंजन निर्देशक :  रॉबी ग्रेवाल कलाकार :  जॉन अब्राहम ,  मौनी रॉय ,  सिकंदर खेर ,  जैकी श्रॉफ ,  रघुबीर यादव दो स्टार  (2  स्टार ) जॉन अब्राहम पिछले कुछ समय से देशभक्ति फिल्मों की ओर काफी झुके हैं। उनकी पिछली दोनों फिल्में  ‘ परमाणु ’   और  ‘ सत्यमेव जयते ’   भी देशभक्ति के जज्बे से भरपूर थीं। लेकिन क्या सिर्फ देशप्रेम का तत्व ही किसी फिल्म को अच्छा बना सकता है ,  सफलता की गारंटी हो सकता है ?  ‘ रोमियो अकबर वाल्टर ’   को देख कर तो ऐसा नहीं कहा जा सकता। रोमियो अली  ( जॉन अब्राहम )  बैंक में काम करता है और अपनी मां वहीदा  ( अल्का अमीन )  के साथ एक सामान्य जीवन जीता है। भारत की खुफिया एजेंसी  ‘ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग ’ ( रॉ )  के प्रमुख श्रीकांत राय  ( जैकी श्रॉफ )  की नजर उस पर पड़ती है। वह रोमियो में एक अच्छा रॉ एजेंट होने की संभावनाएं देखते हैं और उसे प्रशिक्षण देकर रॉ एजेंट अकबर मलिक के रूप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भेज देते हैं। वह एक पाकिस्तानी हथियार डीलर इशाक अफ्रीदी  ( अनिल जॉर्ज )  का भरोसा जीत लेता है और उसके स