संदेश

अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिल्म ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ की समीक्षा

चित्र
पहले जितना हैप्पी नहीं करती ये ‘हैप्पी’ राजीव रंजन कलाकार: जिमी शेरगिल, सोनाक्षी सिन्हा, पीयूष मिश्रा, जस्सी गिल, डायना पेंटी, अली फजल, अपारशक्ति खुराना, डेंजिल स्मिथ, जेसन थाम निर्देशक: मुदस्सर अजीज निर्माता: आनंद एल. राय और कृषिका लुल्ला स्टार: ढाई स्टार (2.5 स्टार) अगस्त 2016 में यानी दो साल पहले हैप्पी (डायना पेंटी) पहली बार भागी थी और पाकिस्तान पहुंच गई थी। फिर वहां अपने प्रेमी गुड्डू (अली फजल) से शादी करके भारत आ गई और ‘लाइफ में सेटल’ हो गई। वैसे तो उसको फिर से भागने की जरूरत नहीं थी, लेकिन फिल्म के निर्माता उसे फिर से भगाना चाहते थे, क्योंकि पिछली बार उसका भागना निर्माताओं के लिए बुरा सौदा नहीं रहा था। लिहाजा दो साल बाद उन्होंने उसे फिर से भगा दिया, लेकिन थोड़ा-सा बदलाव करके और इस बार पाकिस्तान की जगह चीन। हो सकता है, जब अगली बार वह भागे तो एशिया की सरहद पार करके यूरोप या अमेरिका पहुंच जाए। बहरहाल... हॉर्टीकल्चर की प्रोफेसर हरप्रीत कौर उर्फ हैप्पी (सोनाक्षी सिन्हा) अपने भगोड़े मंगेतर अमन वाधवा (अपारशक्ति खुराना) को ढूंढ़ने के लिए अमृतसर से चीन पहुंच जाती है।

फिल्म ‘कारवां’ की समीक्षा

चित्र
दिल से गुजरता है ये कारवां राजीव रंजन निर्देशक: आकर्ष खुराना कलाकार: इरफान खान, डुलकर सलमान, मिथिला पालकर, कृति खरबंदा, आकाश खुराना, बीना, अमला तीन स्टार (3 स्टार) रोड ट्रिप और सफर पर कई फिल्में बॉलीवुड में बनी हैं, लेकिन ‘कारवां’ का मिजाज उन तमाम फिल्मों से अलग है। इस कारवां में वो गति और घटनाओं का तेज उतार-चढ़ाव नहीं है, जो अमूमन सड़क पर और सफर में घटने वाली फिल्मों में होता है। इसमें एक ठहराव है और वह ठहराव धीरे-धीरे दिल में उतर जाता है। अविनाश (डुलकर सलमान) बेंगलुरु में एक आईटी कंपनी में काम करता है, लेकिन उसे अपना काम और बॉस पसंद नहीं है। वह फोटोग्राफर बनना चाहता था, पर पिता (आकाश खुराना) के दबाव के कारण उसे इस फील्ड में आना पड़ता है। अपनी इस अनचाही जिंदगी के लिए वह अपने पिता को दोषी मानता है। पिता-पुत्र में कोई संवाद नहीं होता। गंगोत्री जाते समय एक सड़क दुर्घटना में उसके पिता की मृत्यु हो जाती है। टूर ऑपरेटर कंपनी उसके पिता का पार्थिव शरीर बेंगलुरु भेजती है, पर उनका ताबूत एक बुजुर्ग महिला (बीना) के ताबूत से बदल कर कोच्चि पहुंच जाता है। अविनाश अपने पिता का शव लेने और ब

फिल्म ‘मुल्क’ की समीक्षा

चित्र
पूर्वग्रह को तोड़ने की कोशिश करती फिल्म राजीव रंजन कलाकार: ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, रजत कपूर, आशुतोष राणा, प्रतीक बब्बर, मनोज पाहवा, नीना गुप्ता, प्राची शाह निर्देशक: अनुभव सिन्हा संगीत: प्रसाद शास्ते, अनुराग सैकिया गीत: शकील आजमी तीन स्टार (3 स्टार) भारत में ज्वलंत सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर फिल्में बहुत कम बनती हैं। ऐसी फिल्में उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं। ‘मुल्क’ उन्हीं गिनी-चुनी फिल्मों में से एक है। यह एक ऐसे संवेदनशील मुद्दे के बारे में बात करती है, जो पिछले कुछ सालों से पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में है। वह मुद्दा है इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ कर देखने का चलन। यूं तो फिल्म में कहानी बनारस की पृष्ठभूमि में है, लेकिन उस कहानी में उठाए गए सवाल वैश्विक हैं। एडवोकेट मुराद अली (ऋषि कपूर) का परिवार नौ दशकों से बनारस का बाशिंदा है। मोहल्ले के सभी लोगों से उनके परिवार का भाईचारा है। उनके 65वें जन्मदिन पर पूरा मुहल्ला उनके यहां जुटता है और सबका खाना-पीना होता है। सब कुछ सौहाद्र्रपूर्ण चल रहा है। तभी मुराद अली के जन्मदिन के अगले ही दिन बाद इलाहाबाद में एक बम विस्फ