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फिल्म ‘मेड इन चाइना’ की समीक्षा

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मुझे कुछ कहना है... क्या कहना है... पता नहीं राजीव रंजन निर्देशक: मिखिल मुसाले कलाकार: राजकुमार राव ,  मौनी राय ,  बोमन ईरानी ,  सुमित व्यास ,  परेश रावल ,  मनोज जोशी स्टार- 2 कुछ फिल्में आप शुरू से लेकर आखिर तक देख जाइए ,  लेकिन आप तय नहीं कर पाएंगे कि फिल्म कहना क्या चाहती है। जैसे ही आप उसके बारे में कुछ धारणा बनाने लगते हैं ,  कोई नई बात आकर उस धारणा को हिला देती है।  ‘ मेड इन चाइना ’  भी ऐसी ही फिल्म है। इसे देख कर यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि यह किसी आदमी के हार न मानने वाले जज्बे की कहानी है या आम आदमी को यौन मुद्दों पर शिक्षित करने वाली कहानी है या बाजार में अपने आइडिया को बेचने के गुर सिखाने वाली कहानी है! फिल्म न तो कॉमेडी लगती है ,  न ही संजीदा नजर आती है। भोजपुरी में एक कहावत है-  ‘ ढेर जोगी मठ उजाड़ ’  यानी जिस मठ में बहुत सारे जोगी हो जाते हैं ,  वह उजड़ जाता है। बहुत सारे नैरेटिव वाली इस फिल्म पर भी यह कहावत चरितार्थ होती है। एक चीनी प्रतिनिधि मंडल अहमदाबाद आता है। उस प्रतिनिधि मंडल का मुखिया  ‘ मैजिक सूप ’  नामक ब्रांड का सूप चखता है। उसे चखने के बाद

फिल्म ‘हाउसफुल 4’ की समीक्षा

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बिलकुल खाली है यह सितारों से फुल हाउस राजीव रंजन निर्देशक : फरहाद सम्जी कलाकार: अक्षय कुमार ,  बॉबी देओल ,  रितेश देशमुख ,  कृति सैनन ,  कृति खरबंदा ,  पूजा हेगड़े ,  चंकी पांडे ,  रंजीत ,  जॉनी लीवर ,  शरद केलकर ,  राणा डग्गूबटी ,  मनोज पाहवा,  नवाजुद्दीन सिद्दीकी  स्टार-  1.5 कुछ फिल्मों को लेकर निर्माता-निर्देशक आश्वस्त होते हैं कि उन्होंने कैसी फिल्म बनाई है ,  किसके लिए बनाई है। ऐसी फिल्मों के दर्शक भी आश्वस्त रहते हैं कि उन्हें क्या मिलने वाला है ,  इसलिए वे भी दिमाग घर पर छोड़ कर थियेटर में जाते हैं।  ‘ गोलमाल ’, ‘ धमाल ’, ‘ हाउसफुल ’  आदि फिल्में इसी श्रेणी की फिल्में होती हैं। इनसे दर्शकों को  ‘ लॉजिक ’  नहीं ,  बस कॉमेडी के  ‘ मैजिक ’  की उम्मीद होती है। लेकिन कॉमेडी का मैजिक भी न मिले ,  तो निराशा होती है।  ‘ हाउसफुल  4’  ऐसी ही फिल्म है। हैरी (अक्षय कुमार) अपने भाइयों मैक्स (बॉबी देओल) और रॉय (रितेश देशमुख) के साथ लंदन में एक सैलून चलाता है। हैरी के कानों में जब भी कोई तेज आवाज पहुंचती है ,  तो वह कुछ देर के लिए उसकी स्मरण शक्ति गायब हो जाती है। वह चीजों को

फिल्म ‘लाल कप्तान’ की समीक्षा

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ताप नहीं है इस बदले की आग वाली कहानी में राजीव रंजन निर्देशक : नवदीप सिंह कलाकार: सैफ अली खान, मानव विज, जोया हुसैन, दीपक डोबरियाल, सिमोन सिंह और अतिथि भूमिकाओं में नीरज कबी तथा सोनाक्षी सिन्हा 2 स्टार कुछ कहानियां सुनने में, सुनाने में बड़ी अच्छी लगती हैं, लेकिन कागज से पर्दे पर उतरते उतरते कहीं खो जाती हैं या उनकी चमक फीकी पड़ जाती है। ‘लाल कप्तान’ भी एक ऐसी ही कहानी है। फिल्म का नाम, सैफ अली खान का गेटअप, नागा साधू का बदला, इसकी पृष्ठभूमि दर्शकों में उत्सुकता तो जगाते हैं, लेकिन फिल्म अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाती। फिल्म को देखते हुए बार-बार ‘धीमी गति के समाचार बुलेटिन’ याद आती रहती है। बदले की आग में जल रहा एक नागा साधु गोसाईं (सैफ अली खान) बुंदेलखंड के एक किलेदार रहमत खान (मानव विज) को 20 सालों से ढूंढ रहा है। ढूंढ़ते-ढूंढ़ते वह रहमत के किले तक पहुंच जाता है, लेकिन वहां उसे एक औरत (जोया हुसैन) के अलावा कोई नहीं मिलता। वह औरत गोसाईं को बताती है कि किलेदार सारा खजाना लेकर अपने काफिले के साथ अवध की ओर रवाना हो गया है। औरत कहती है कि उसे काफिले के रास्ते के बारे में पता है।

सौ करोड़ नहीं, अब दो सौ करोड़ का दौर

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राजीव रंजन अगर किसी के अच्छे दिन चल रहे हैं, तो वह है बॉलीवुड। कोई मंदी लोगों के सिनेमाप्रेम के आड़े नहीं आ रही है। अपवादों को छोड़ दें, तो फिल्म अगर थोड़ी भी ठीक हुई, उसे दर्शकों ने शाबासी दी। ऐसा लग रहा है कि लोग फिल्में देखने के लिए उत्सुक हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दो बड़ी फिल्में रिलीज हुई थीं। अक्षय कुमार की ‘मिशन मंगल’ और जॉन अब्राहम की ‘बाटला हाउस’। दो बड़ी फिल्मों के एक ही दिन रिलीज होने के बावजूद दर्शकों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया। ‘मिशन मंगल’ तो अक्षय की पहली ‘दो सौ करोड़ी’ और अब तक की सबसे कमाऊ फिल्म है। वहीं ‘बाटला हाउस’ ने भी 100 करोड़ के करीब कारोबार किया। इन दोनों के बाद आई ‘साहो’ ने भी कमजोर कंटेंट के बावजूद प्रभास और अपने एक्शन के दम पर केवल हिंदी में 149 करोड़ रुपये कमाए। बॉक्स ऑफिस पर मुद्राओं की बरसात इसके बाद भी जारी रही। ‘छिछोरे’ ने अपने कंटेंट के दम पर 150 करोड़ से ज्यादा कमाए और सुशांत सिंह राजपूत की सबसे सफल फिल्म बनी। फिर आयुष्मान खुराना की ‘ड्रीम गर्ल’ ने सिर्फ कॉमेडी की बदौलत 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आई हृतिक रोशन और

फिल्म ‘वॉर’ की समीक्षा

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रोमांच, एक्शन और सितारों का मेल राजीव रंजन निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद कलाकार: हृतिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, वानी कपूर, आशुतोष राणा, अनुप्रिया गोयनका 2. 5/5 स्टार बॉलीवुड ने पिछले कुछ सालों में शायद यह संकल्प लिया है कि उसे अपने संसाधनों और बजट के दायरे में हॉलीवुड को एक्शन व तकनीक के मामले में टक्कर देनी है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि हॉलीवुड की तकनीक और एक्शन से सजी फिल्में भारत में अच्छा-खासा कारोबार कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड ने ‘धूम सिरीज’, ‘बाहुबली सिरीज’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘कमांडो सिरीज’ और ‘बागी सिरीज’ जैसी फिल्में बनाई हैं और इनमें लगभग सभी बहुत सफल भी रही हैं। ‘वॉर’ भी ऐसी ही फिल्म है। बड़े सितारे, बड़ा बजट, बड़ा रोमांच, जबर्दस्त एक्शन और खूबसूरत विदेशी लोकेशन और हां, एक कामचलाऊ प्लॉट के मिश्रण से जो उत्पाद तैयार किया गया है, उसका नाम ‘वॉर’ है। पिछले साल एक फिल्म आई थी ‘ऐयारी’, जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और मनोज बाजपेयी थे। ‘वॉर’ का प्लॉट भी कमोबेश उसी लाइन पर है। हालांकि इसका कैनवस और बाकी हर पक्ष ‘ऐयारी’ से बहुत बड़ा है। जाहिर है, बजट भी। भारतीय इंटे