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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिल्म पंगा की समीक्षा

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हर हद से पंगा लेती फिल्म राजीव रंजन निर्देशक: अश्विनी अय्यर तिवारी कलाकार: कंगना रनोट, जेसी गिल, रिचा चड्ढा, यज्ञ भसीन, नीना गुप्ता, मेघा बर्मन, राजेश तैलंग, स्मिता ताम्बे 3.5 स्टार बहुत कम फिल्में ऐसी होती हैं, जिसमें कोई खलनायक नहीं होता, जो पहले दृश्य से ही सकारात्मक तरंगें छोड़ना प्रारम्भ कर देती हैं और अंत में जब आप थियेटर से निकलते हैं, तो प्रेरणा से भरे होते हैं। कंगना रनोट की मुख्य भूमिका वाली ‘पंगा’ ऐसी ही फिल्म है। यह केवल एक कबड्डी खिलाड़ी के कमबैक की कहानी नहीं है, बल्कि जीवन में उम्मीदों के कमबैक की भी कहानी है। जया निगम (कंगना रनोट) भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तान रह चुकी है। वह अपने समय की सर्वश्रेष्ठ रेडर थी। उसकी शादी प्रशांत (जेसी गिल) से हो जाती है। शादी के बाद वह कबड्डी खेलना जारी रखती है। उसे डेढ़-दो साल बाद एशिया कप में टीम का नेतृत्व करना है। तभी वह प्रेग्नेंट हो जाती है। उसकी योजना है कि बच्चे को जन्म देने के बाद वह फील्ड में लौट आएगी, लेकिन उसका बेटा आदित्य (यज्ञ भसीन) जन्म के समय बहुत कमजोर होता है। उसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर है, इसलिए उसे

फिल्म ‘जय मम्मी दी’ की समीक्षा

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कॉमेडी फिल्म है, मगर हंसाती नहीं राजीव रंजन निर्देशक: नवजोत गुलाटी कलाकार: सन्नी सिंह निज्जर, सोनाली सहगल, सुप्रिया पाठक, पूनम ढिल्लन, भुवन अरोरा, राजेंद्र सेठी, दानिश हुसैन, वीर राजवंत सिंह, आलोक नाथ 2 स्टार कॉमेडी बॉलीवुड का पसंदीदा विषय रहा है और व्यावसायिक दृष्टि से भी यह मुफीद रहता है, इसलिए कॉमेडी फिल्मों का दौर कभी खत्म नहीं होता। कभी कम तो कभी ज्यादा, कॉमेडी फिल्में हमेशा बनती रही हैं। आजकल बॉलीवुड में कॉमेडी का खूब जलवा है। बड़े-बड़े बैनर कॉमेडी फिल्में बना रहे हैं और बड़े-बड़े कलाकार उनमें काम कर रहे हैं। उनमें से कई फिल्मों ने बहुत अच्छा कारोबार भी किया है। लेकिन कामेडी बनाना इतना आसान भी नहीं है, वरना हर कॉमेडी फिल्म ‘हाफ टिकट’, ‘गोलमाल’,‘अंदाज अपना अपना’ और ‘हेराफेरी’ होती। अगर क्लासिक नहीं होती, तो कम से कम ‘प्यार का पंचनामा’ सिरीज और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी ही होती, जिनके निर्देशक लव रंजन हैं। लव रंजन का जिक्र इसलिए, कि उनके प्रोडक्शन की ‘जय मम्मी दी’ इस शुक्रवार को रिलीज हुई है, जिसके निर्देशक नवजोत गुलाटी हैं। लव रंजन की तीनों फिल्मों ने लोगों का ठीकठाक मन

तानाजी की समीक्षा

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इतिहास के एक पन्ने से धूल झाड़ती फिल्म राजीव रंजन निर्देशक : ओम राउत कलाकार: अजय देवगन, काजोल, सैफ अली खान, शरद केलकर, ल्यूक केनी, पद्मावती राय, नेहा शर्मा, आजिंक्य देव, विपुल कुमार गुप्ता 3.5 स्टार भारत के इतिहास में ऐसे कई लोग हुए हैं, जिन्होंने अपनी निष्ठा और पराक्रम से अपने राज्य, देश की बड़ी सेवा की। देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोकमानस में उनकी कहानियां बड़े आदर के साथ सुनी-सुनाई जाती हैं, लेकिन उनको इतिहास में कुछ खास जगह नहीं मिल पाई। कई का बस हल्का-सा जिक्र है, तो कई गुमनाम हैं। मराठा सूबेदार तानाजी मालुसरे एक ऐसे ही योद्धा थे। उनके बारे में इतिहास में बहुत कम जिक्र मिलता है। महाराष्ट्र के क्षेत्रीय इतिहास में तानाजी को कितनी जगह मिली है, पता नहीं, लेकिन उत्तर भारत में लोग उनके बारे में बहुत कम या न के बराबर जानते हैं। मगर तानाजी की निष्ठा और उनकी वीरता के प्रति उनके बालमित्र और महाराज छत्रपति शिवाजी के मन कितना स्नेह और आदर था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोंडाना किले को पुन: प्राप्त करने की लड़ाई में जब 4 फरवरी, 1670 को तानाजी शहीद हुए, तो शिवाजी महाराज

फिल्म ‘शिमला मिर्ची’ की समीक्षा

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दिल तक पहुंच नहीं पाती यह प्रेम कहानी राजीव रंजन निर्देशक : रमेश सिप्पी कलाकार: हेमा मालिनी, राजकुमार राव, रकुलप्रीत सिंह, शक्ति कपूर, किरण जुनेजा सिप्पी, कंवलजीत सिंह दो स्टार रमेश सिप्पी जैसे किसी बड़े फिल्मकार का नाम किसी फिल्म से जुड़ा हो, तो उससे उम्मीदें बंधती है। उसमें राजकुमार राव जैसे समर्थ अभिनेता, हेमा मालिनी जैसी दिग्गज अभिनेत्री और रकुलप्रीत सिंह जैसी संभावनाशील अभिनेत्री हो, तो उम्मीदें और बढ़ जाती हैं। फिल्म ‘शिमला मिर्च’ के साथ एक और अच्छी बात है कि कहानी का प्लॉट भी अच्छा था, लेकिन इसके बावजूद यह एक औसत से कमतर फिल्म बन कर रह गई। अविनाश (राजकुमार राव) हर साल अपनी मां (नीता मोहिंद्रा), बुआ (किरण जुनेजा), बहन (प्रिया रैना) के साथ शिमला घूमने आता है। वह शिमला में रुकना नहीं चाहता, क्योंकि वह एक ही हिल स्टेशन पर घूम-घूम कर बोर हो गया है। उसके साथ एक और दिक्कत है। वह लड़कियों को अपने दिल की बताने में शर्माता है, इसलिए अभी तक उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बन पाई है। एक दिन शिमला में उसकी नजर नैना (रकुलप्रीत सिंह) पर पड़ती है। उसे देखते ही अविनाश को लगता है कि वही उसकी ड्

हर साल बढ़ रहा बॉलीवुड का बाजार

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हर साल बढ़ रहा बॉलीवुड का बाजार भारत में हर साल 20 से ज्यादा भाषाओं में 1,500 से ज्यादा फिल्में बनती हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में भारत के लोग देखते हैं। 2019 में भारत में 200 करोड़ से ज्यादा टिकटों की बिक्री हुई। कैसा रहा यह साल बॉलीवुड के लिए, बता रहे हैं  राजीव रंजन अगर फिल्मों की संख्या के लिहाज से देखें, तो भारतीय फिल्म उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है। भारत में हर साल 20 से ज्यादा भाषाओं में 1,500 से ज्यादा फिल्में बनती हैं। 2018 में भारत में 1,800 से ज्यादा फिल्मों का निर्माण हुआ। दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में भारत के लोग देखते हैं। पिछले साल 210 करोड़ से ज्यादा टिकटों की बिक्री हुई भारत में। वित्तीय वर्ष 2018 में भारतीय फिल्म उद्योग 15,890 करोड़ रुपये का था, जबकि वित्तीय वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 14,500 रुपये था। अभी भारतीय फिल्म उद्योग का बाजार करीब 17,500 करोड़ रुपये है। 2020 के अंत तक इसके 23,800 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। यह उद्योग 10 प्रतिशत से ज्यादा सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है। उम्मीद है कि निकट भविष्य में यह वृद्धि दर 11.9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। भारतीय