वक्त की बर्बादी है ‘ये इंतजार’



राजीव रंजन

कलाकार: अरबाज खान, सनी लियोने, आर्य बब्बर, गौहर खान, सुधा चंद्रन
निर्देशक: राजीव वालिया
संगीत: राज आशू
रेटिंग- 1 स्टार


ये फिल्म क्यों बनाई गई है और किसके लिए बनाई गई है, पूरी फिल्म देखने के बाद भी इसका उत्तर खोज पाना बड़ा कठिन है। ये क्राइम-थ्रिलर है या हॉरर है या रोमांटिक फिल्म है, यह भी तय कर पाना कठिन है। हालांकि फिल्म का शुरुआती का दृश्य थोड़ी-बहुत उत्सुकता जगाने वाला है, अविश्वसनीय होने के बावजूद। लेकिन उसके बाद सारी चीजें इतनी घिसी-पिटी होती हैं कि कोफ्त होने लगती है।

वीर सिंह राजपूत (अरबाज खान) एक पेंटर है। वह अपनी ड्रीम गर्ल की तस्वीर बनाता है। जब तस्वीर पूरी हो जाती है तो उसे ठीक तस्वीर वाली लड़की दिखाई देती है। उस लड़की का नाम रौनक (सनी लियोने) है। वीर उसका पीछा करता है। रौनक एक आर्ट क्यूरेटर है। वीर उसकी गैलरी में अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाना चाहता है। रौनक उससे कहती है कि गैलरी में सिर्फ एक्सक्लूसिव पेंटिंग लगााई जाती हैं। वीर उसे अपनी ड्रीम गर्ल वाली पेंटिंग दिखाता है। रौनक यह देख कर हैरान हो जाती है। फिर दोनों में प्यार हो जाता है। दोनों ‘तुम मेरा साथ तो नहीं छोड़ दोगे’ और ‘मैं जिंदगी भर तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा’ जैसी प्यार-मोहब्बत की सनातन कसमें खाते हुए अपने प्यार का इजहार करते हैं। तभी इनकी जिंदगी में चार आर्ट एजेंट विक्रम (आर्य बब्बर), एरिना (गौहर खान), जानशीन और बॉबी की आमद होती है। एक उम्रदराज विदेशी अरबपति अपनी 21 साल की गर्लफ्रेंड के लिए इनसे एक एक्सक्लूसिव पेंटिंग चाहता है और उसके लिए करोड़ों रुपये देने को तैयार है। ये चारों रौनक के पास जाते हैं, जो उन्हें वीर से मिलाती है। वीर की पेंटिंग देख कर ये दंग रह जाते हैं, लेकिन वीर अपनी पेंटिंग बिना सौदा पक्का हुए दिखाना नहीं चाहता। ये चारों एजेंट फाउल प्ले पर उतर आते हैं। एक दिन चारों एजेंट और वीर अचानक गायब हो जाते हैं। रौनक परेशान हो जाती है। उसके जीजा उसकी मदद के लिए एक तांत्रिक (सुधा चंद्रन) को भेजते हैं। फिर शुरू होती है तलाश और एक अजीबोगरीब कहानी।

निर्देशक राजीव वालिया दर्शकों को कैसी कहानी दिखाना चाहते थे, यह समझना तो मुश्किल है। लेकिन हां, यह समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं कि वह जो भी दिखाना चाहते थे, वह ठीक से बिल्कुल नहीं दिखा पाए। बतौर निर्देशक वह कोई भी असर पैदा नहीं कर पाए हैं। फिल्म की पटकथा तो कमजोर है, संवाद भी बेजान हैं। हां फिल्म विजुअली कुछ ठीक है। कुछ जगहों पर सिनमेटोग्राफी अच्छी है। फिल्म का गीत-संगीत साधारण है। हां, शास्त्रीयता का स्पर्श लिए हुए ‘अभागी पिया की’ गाना अच्छा लगता है।

अरबाज खान एक अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन जब कहानी और पटकथा में ही दम नहीं हो तो कोई क्या कर लेगा! और सनी लियोने के लिए तो इस फिल्म में कुछ करने को है ही नहीं। निर्देशक उनकी छवि को भी ठीक तरीके से नहीं भुना पाए हैं। बाकी कलाकार भी बस औपचारिकता पूरी करते नजर आते हैं।

करीब पौने दो घंटे की इस फिल्म से एक घंटे तो आराम से कम किए जा सकते थे। यह एक ठीकठाक शॉर्ट फिल्म हो सकती थी। इसके बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि सनी लियोने के प्रशंसकों को भी इससे बहुत निराशा होगी।

(livehindustan.com में 1 दिसंबर और हिन्दु स्ता न में 2 दिसंबर 2017 को प्रकाशित फिल्म ‘तेरा इंतजार’ की समीक्षा)

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