वीणा-वादिनी वर दे


सूर्यकान्‍त त्रिपाठी 'निराला'

वर दे वीणा-वादिनी वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव
भारत में भर दे।

काट अंध उर के बंधन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे।
वर दे वीणा-वादिनी वर दे...

नव गति नव लय ताल-छंद नव
नवल कंठ नव जलद मंद्र रव
नव नभ के नव विहग वृंद को
नव पर नव स्वर दे।
वर दे वीणा-वादिनी वर दे...

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