टाइगर लौटा है, ज्यादा धूमधड़ाके के साथ


राजीव रंजन

फिल्म: टाइगर जिंदा है
निर्देशक: अली अब्बास जफर
कलाकार: सलमान खान, कैटरीना कैफ, परेश रावल, कुमुद मिश्रा, अंगद बेदी, गिरीश कर्नाड, सज्जाद देलाफरोज, अनुप्रिया गोयनका
रेटिंग: 2.5 स्टार


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भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के आम लोग अमन पसंद हैं और वे नहीं चाहते कि दोनों मुल्क आपस में लड़ें। लेकिन ये बात दोनों देश के नेताओं के एजेंडे को सूट नहीं करती। यह विषय बॉलीवुड को काफी पसंद है और यही वजह है कि इस थीम को केंद्र में रख कर बॉलीवुड कई फिल्में बना चुका है। ‘टाइगर जिंंदा है’ और इसकी पहली किश्त ‘एक था टाइगर’ के केंद्र में भी यही विचार है। वैसे यशराज बैनर की ही यश चोपड़ा निर्देशित ‘वीर जारा’ का भी संदेश यही था। पर उस फिल्म में यह संदेश विशुद्ध प्रेम कहानी के जरिये दिया गया था, जबकि ‘टाइगर जिंदा है’ में यह संदेश एक्शन की जबरदस्त खुराक के साथ दिया गया है। हालांकि इसमें भी प्रेम है, पर एक्शन उस पर बहुत भारी है। यह फिल्म इराक में भारतीय नर्सों के अपहरण और उनके बचाव ऑपरेशन पर आधारित है।

'एक था टाइगर' में रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौड़ उर्फ टाइगर (सलमान खान)और आईएसआई एजेंट जोया (कैटरीना कैफ) के बीच प्यार हो जाता है और एक दिन दोनों अपने अपने देशों की एजेंसियों को धता बता कर गायब हो जाते हैं। कुछ साल गुजरते हैं। इराक और सीरिया में आतंकवादी संगठन आईएससी (आईएस की तर्ज पर) पर अपने पैर पसार लेता है। इराक का बड़ा हिस्सा और तेल के कुंएं उसके अधिकार में हैं। उनका मुखिया अबू उस्मानी (सज्जाद देलाफरोज) एक हमले में घायल हो जाता है। उसके साथी उसे इराक के एक शहर इकरित के अस्पताल में ले जाते हैं और वहां 25 भारतीय तथा 15 पाकिस्तानी नर्सों को बंधक बना लेते हैं। अबू उस्मानी के लोग एक अमेरिकी पत्रकार की हत्या कर देते हैं और कुछ को बंधक बना लेते हैं। अमेरिका उस अस्पताल पर हवाई हमला करके उस्मानी को मारना चाहता है। इधर भारत सरकार अपनी नर्सों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन चलाना चाहती है। रॉ के चीफ शेनॉय (गिरीश कर्नाड) किसी तरह अमेरिका से एक हफ्ते का समय लेते हैं, ताकि ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सके। इन्हीं सात दिनों में नर्सों को छुड़ाया जाना है, नहीं तो अमेरिका के हवाई हमले में उस अस्पताल में मौजूद सारे लोग मारे जाएंगे। इस बेहद मुश्किल ऑपरेशन के लिए गायब टाइगर को खोजा जाता है। वह 25 भारतीय नर्सों को बचाने अपनी चुनी हुई टीम के साथ पहुंच जाता है इराक। वहीं 15 पाकिस्तानी नर्सों को बचाने के लिए उसकी पत्नी जोया भी अपनी टीम के साथ इराक पहुंच जाती है। फिर रॉ और आएसआई मिल कर काम करते हैं। इनकी मदद करता है रॉ का एक अंडरकवर एजेंट फिरदौस (परेश रावल)। है न कमाल का आईडिया!

टाइगर जिंदा है सलमान खान की पिछली फिल्म 'ट्यूबलाइट' के उलट ठेठ सलमान स्टाइल वाली फिल्म है, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। इसमें लॉजिक कहीं नहीं है, बस सलमान हैं। इस फिल्म में असंभव-सी बातें होती हुई दिखाई गई हैं (हालांकि यथार्थ की उम्मीद भी नहीं थी), लेकिन फिर भी लेखक और निर्देशक से इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वे उस पर थोड़ी मेहनत (एक्शन के अलावा) करें। लेकिन ऐसा लगता है कि निर्देशक अली अब्बास जफर के जेहन में सलमान खान तथा एक्शन के अलावा और कुछ भी नहीं था। निर्देशक के रूप में वे ‘सुल्तान’ से कमजोर नजर आते हैं।

कई दृश्यों में ऐसा लगता है कि निर्देशक आईएस के उदय के लिए अमेरिका को जिम्मेदार मानते हैं। फिल्म के मुताबिक पूरी दुनिया में जो आतंकवाद है, उसके मूल में व्यापार है, जिसका सबसे बड़ा व्यापारी अमेरिका है, जबकि इस लड़ाई को मजहबी कोण पश्चिमी मीडिया ने दिया है। बहरहाल, अगर कहानी की दृष्टि से देखें तो फिल्म बिल्कुल प्रभावित नहीं करती। पटकथा में झोल ही झोल हैं। लेकिन हां, इसमें एक्शन जबरदस्त है। सलमान एक्शन दृश्यों में खूब जंचे हैं। उनकी तो ये खासियत ही है, लेकिन कई सीन में कैटरीना का एक्शन हैरान कर देता है, खासकर अबु उस्मान के सबसे विश्वस्त सहयोगी बगदावी को मारने वाले सीन में। इस फिल्म में खूब गाड़ियां उड़ाई गई हैं। गोलियां खूब चली हैं। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाकों में एक शेखी भरा डायलॉग खूब बोला जाता है- ‘एतना गोली मारेंगे कि खोखा बेच के अमीर हो जाओगे।’ इस फिल्म के संदर्भ में यह संवाद बिल्कुल फिट बैठता है। जाहिर है, इस फिल्म में अभिनय के लिए स्कोप कम है और एक्शन के लिए ज्यादा। सलमान खान और कैटरीना का एक्शन शानदार है। भेड़ियों से सलमान की लड़ाई रोमांचक लगती है। भारतीय नर्स पूर्णा के रूप में अनुप्रिया गोयनका प्रभावित करती हैं। सज्जाद देलाफरोज भी अच्छे लगे हैं। बाकी सबने भी अपनी भूमिकाओं से न्याय किया है।

यह फिल्म सिर्फ एक्शन के लिए देखी जा सकती है। सलमान खान के प्रशंसकों के लिए इसमें काफी मसाला है। हां, एक बात और। टाइगर फिर वापस आ सकता है।



(livehindustan.com में 22 दिसंबर और हिन्‍दुस्‍तान में 23 दिसंबर 2017 को प्रकाशित)

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