वेब सिरीज 'आर्या' की समीक्षा

परिवार के लिए सब कुछ करने को तैयार एक मां की कहानी

राजीव रंजन

निर्देशक : राम माधवानीसंदीप मोदीविनोद रावत,

कलाकार: सुष्मिता सेनचंद्रचूड़ सिंहसिकंदर खेरमनीष चौधरीनमित दासविकास कुमारसुगंधा गर्गप्रियाशा भारद्वाजजयंत कृपलानीअंकुर भाटियामाया सराओएलेक्स ओ नीलवीर्ति वागनानीवीरेन वजीरानीप्रत्यक्ष पंवारसोहेला कपूरविश्वजीत प्रधानजगदीश पुरोहितफ्लोरा सैनीजॉय सेनगुप्ता

स्टार- 3

कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान जो वेब सिरीज आई हैंउनमें एक चर्चित सिरीज है आर्या।  डिज्नी-हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही इस इस क्राइम थ्रिलर की चर्चा इसलिए भी हो रही हैक्योंकि इसके जरिये सुष्मिता सेन ने लंबे अर्से के बाद अभिनय की दुनिया में वापसी की है। और चंद्रचूड़ सिंह ने भी। इस सिरीज की कल्पना फिल्म नीरजा’ से सुखिर्यों में आए राम माधवानी की है और सिरीज के तीन निर्देशकों में से एक वह खुद भी हैं।
यह एक कहानी है एक मां कीजो चालीस साल की उम्र में भी बेहद आकर्षक है। जो एक समृद्ध परिवार की बेटी हैजिसका पति एक सफल कारोबारी है और उसे बहुत प्यार करता है। यह कहानी है उस औरत कीजिसके जीवन में अपने शानदार वार्डरोब में से कपड़ों का चुनाव करने के अलावा और कोई द्वंद्व नहीं हैजिसके लिए खुद को फिट रखना और घर के अच्छे रहन-सहन को बनाए रखना ही सबसे बड़ा काम है। लेकिन जब अपने परिवार को सुरक्षित रखने की जिम्मदारी आती हैतो वह हर चुनौती से टकरा जाती है।

आर्या (सुष्मिता सेन) अपने पति तेज सरीन (चंद्रचूड़ सिंह) और तीन बच्चों वीर (वीरेन)अरु (वीर्ति) और आदि (प्रत्यक्ष) के साथ बहुत खुश है। तेज अपने साले संग्राम (अंकुर भाटिया) और दोस्त जवाहर (नमित दास) के दवाइयों की आड़ में अवैध ड्रग्स का धंधा करता हैजिसे आर्या के पिता जोरावर (जयंत कृपलानी) ने स्थापित किया है। हालांकि आर्या को यह सब पसंद नहीं है और वह बार-बार तेज को इस दलदल से बाहर निकलने को कहती है। तेज अंतत: इसके लिए तैयार हो जाता है। एक दिन संग्राम और जवाहर राजस्थान के ड्रग माफिया (मनीष चौधरी) की 300 करोड़ रुपये की हीरोइन चुरा लेते हैं। एसीपी खान (विकास कुमार) इस रैकेट को खत्म करना चाहता है। यहां से चीजें तेजी से बदलनी शुरू हो जाती हैं। तेज की हत्या हो जाती है और आर्या का परिवार खतरे में आ जाता हैजिसे बचाने के लिए वह वहीं सब कुछ करने को तैयार हो जाती हैजो उसे पसंद नहीं था। इस काम में उसकी मदद करता है दौलत (सिकंदर खेर)जो उसके पिता का सबसे वफादार आदमी है। अपने बच्चों को बचाने के क्रम में वह बार-बार एसीपी खानड्रग माफिया शेखावत और यहां तक कि अपने भाई और पिता से भी टकरा जाती है।
इस सिरीज में एक डायलॉग है- अफीम से दवाई भी बनती है और हेरोईन भी’, इस संवाद के जरिये यह सिरीज दवाइयों के कारोबार के एक काले सच पर बात करती हैतो पैसे के लिए रिश्तों को बलि चढ़ा देने की प्रवृति को भी दिखाती है। लेकिन मूल रूप से यह एक मां की कहानी हैजो अपने बच्चों के लिए सब कुछ कर गुजरने को तैयार है। राजस्थान की पृष्ठभूमि में बनाई गई इस सिरीज की पटकथा कसी हुई है और अच्छी तरह से लिखी गई है। हालांकि इसमें कई खामियां भी हैं और कुछ चीजें बहुत तार्किक नहीं लगतींलेकिन कहानी बांधे रखती है। बतौर निर्देशक राम माधवानीसंदीप मोदी और विनोद रावत ने इसे बढ़िया तरीके से पेश किया है। राम माधवानी से नीरजा’ के बाद जो उम्मीदें लगाई जा रही थींउस पर वह खरे उतरे हैं। निर्देशकों की टीम अच्छा मनोरंजन परोसने में कामयाब रही है। कई जगह सिरीज थोड़ी धीमी हो जाती हैलेकिन बोर नहीं करती। इसे देखने की उत्सुकता बनी रहती है।
इस सिरीज का सबसे दमदार पक्ष है अभिनय। सुष्मिता ने दमदार वापसी की है। उन्होंने अपने किरदार की हर परत को बहुत सफलता से उभारा है। अपने सशक्त अभिनय से वह प्रभावित तो करती ही हैं और एक सवाल भी छोड़ती हैं कि बॉलीवुड ने इस समर्थ अभिनेत्री का ढंग से उपयोग क्यों नहीं किया! चंद्रचूड़ सिंह भी अच्छे लगे हैं। लेकिन उनका किरदार काफी छोटा हैअगर उसे थोड़ा और विस्तार दिया जाता तो बेहतर होता। सिकंदर खेर के जिम्मे कुछ खास नहीं था। उनके किरदार को भी ठीक से नहीं पेश किया गया है। हो सकता हैअगली किश्त में वे अहम भूमिका निभाएं। एसीपी खान के रूप में विकास कुमार असर छोड़ते हैं। माया सराओ बहुत प्रभावित करती हैं और नमित दास भी। जयंत कृपलानी ने अपने किरदार की सूक्ष्मताओं को सफलता से उभारा है। बाकी सभी कलाकारों ने भी अपना काम बखूबी किया है। किरदारों को गढ़ा भी अच्छी तरह से गया है।
यह एक अच्छी तरह से बनाई गई वेब सिरीज हैजिसे देख कर निराशा नहीं होगी। और हांक्लाइमैक्स देख कर आपको पता लग जाएगा कि इसकी दूसरी किश्त भी आने वाली है।

('हिन्दुस्तान' में 7 जुलाई, 2020 को प्रकाशित)



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