पॉल पॉट्स की कुछ कविताएं
(अनुवाद- अमृता प्रीतम)
1.
जब तुमने मेरे प्यार को स्वीकारने से इंकार कर दिया
मैंने चौखट से गुजरे बिना
तुम्हारे सोने के कमरे का दरवाजा भिड़का दिया।
और अपने हाथ में पकड़ी हुई विवाह की अंगुठी को
बाहर सड़क पर खड़े हुए-
एक भिखारी के पात्र में डाल दिया
उस दिन हमारी भाषा के शब्द भी
कराह रहे थे
जिस दिन मैंने तुम्हे अलविदा कही।
2.
जैसे हमारी तारीख दो हिस्सों में बंटी हुई है
ईसा के जन्म के पहले और ईसा के जन्म के बाद
मेरी जिंदगी भी दो हिस्सों में बंटी हुई है
तुम्हे देखने से पहले, और तुम्हे देखने के बाद
3.
एक दिन गली में मैंने मौत को देखा था।
वह बिल्कुल उस जिंदगी जैसी है
जो जिंदगी मैं तुम्हारे बिना जी रहा हूं।
4.
अगर तुम किसी उस औरत से प्यार करते हो
जो औरत तुम्हे प्यार न करती हो
उस समय ही एक ही इमानदार बात हो सकती है
कि तुम दूर चले जाओ दूसरे शहर में, दूसरे देश में, दूसरी दुनिया में
कहीं भी चले जाओ।
पर जिंदगी का वास्ता है, चले जाओ।
तुम चाहे पूरी तरह टूट जाओ
पर ‘उसे’ न यह देखने देना।
वह तुम्हे एक भिखारी बना क्यों देखे
वह, जो तुममें एक बादशाह देख सकती थी।
अगर मुझे अपनी सारी जिंदगी का
एक शब्द में वर्णन करना हो
तो मैं कहूंगा ‘एकाकीपन’
और फिर इस शब्द दुहरा दूंगा।
5.
तूने इसलिए यह शराब नहीं पी
कि गिलास सुंदर नहीं था।
उस औरत की उपस्थिति में-
जिसे तुम प्यार करते हो-
ईश्वर इस धरती पर विराजा लगता है
पर अगर वह औरत भी तुमसे प्यार करती हो
तो क्या होता, यह मुझे पता नहीं-
क्योंकि मेरे साथ यह घटा नहीं।
6.
किसी उससे प्यार करना
जो तुम्हे प्यार न करता हो
किसी उस देश का नुमाइंदा बनना है
जिस मुल्क का अस्तित्व ही कोई न हो।
1.
जब तुमने मेरे प्यार को स्वीकारने से इंकार कर दिया
मैंने चौखट से गुजरे बिना
तुम्हारे सोने के कमरे का दरवाजा भिड़का दिया।
और अपने हाथ में पकड़ी हुई विवाह की अंगुठी को
बाहर सड़क पर खड़े हुए-
एक भिखारी के पात्र में डाल दिया
उस दिन हमारी भाषा के शब्द भी
कराह रहे थे
जिस दिन मैंने तुम्हे अलविदा कही।
2.
जैसे हमारी तारीख दो हिस्सों में बंटी हुई है
ईसा के जन्म के पहले और ईसा के जन्म के बाद
मेरी जिंदगी भी दो हिस्सों में बंटी हुई है
तुम्हे देखने से पहले, और तुम्हे देखने के बाद
3.
एक दिन गली में मैंने मौत को देखा था।
वह बिल्कुल उस जिंदगी जैसी है
जो जिंदगी मैं तुम्हारे बिना जी रहा हूं।
4.
अगर तुम किसी उस औरत से प्यार करते हो
जो औरत तुम्हे प्यार न करती हो
उस समय ही एक ही इमानदार बात हो सकती है
कि तुम दूर चले जाओ दूसरे शहर में, दूसरे देश में, दूसरी दुनिया में
कहीं भी चले जाओ।
पर जिंदगी का वास्ता है, चले जाओ।
तुम चाहे पूरी तरह टूट जाओ
पर ‘उसे’ न यह देखने देना।
वह तुम्हे एक भिखारी बना क्यों देखे
वह, जो तुममें एक बादशाह देख सकती थी।
अगर मुझे अपनी सारी जिंदगी का
एक शब्द में वर्णन करना हो
तो मैं कहूंगा ‘एकाकीपन’
और फिर इस शब्द दुहरा दूंगा।
5.
तूने इसलिए यह शराब नहीं पी
कि गिलास सुंदर नहीं था।
उस औरत की उपस्थिति में-
जिसे तुम प्यार करते हो-
ईश्वर इस धरती पर विराजा लगता है
पर अगर वह औरत भी तुमसे प्यार करती हो
तो क्या होता, यह मुझे पता नहीं-
क्योंकि मेरे साथ यह घटा नहीं।
6.
किसी उससे प्यार करना
जो तुम्हे प्यार न करता हो
किसी उस देश का नुमाइंदा बनना है
जिस मुल्क का अस्तित्व ही कोई न हो।