फिल्म टोटल धमाल की समीक्षा

ढेर सारे सितारे, पर धमाल नहीं


राजीव रंजन


निर्देशकइंद्र कुमार


कलाकारअजय देवगनअनिल कपूरमाधुरी दीक्षितरितेश देशमुखअरशद वारसीसंजय मिश्राबोमन ईरानीजावेद जाफरीईशा गुप्तापितोबश त्रिपाठीविजय पाटकरमहेश मांजरेकरमनोज पाहवा


दो स्टार (2 स्टार)


कुछ फिल्में ऐसी होती हैं,जिनके बारे में लोग पहले से तय कर लेते हैं कि दिमाग घर पर छोड़ कर जाना है। अगर उसमें तर्क की तलाश करेंगेतो मुट्ठी भर रेत के सिवा कुछ हाथ नहीं आएगा। धमाल सिरीज की फिल्में भी इसी श्रेणी में आती हैं। इस सिरीज की तीसरी फिल्म टोटल धमाल में सारी बातें धमाल जैसी हैं। सितारों की लंबी-चौड़ी फौज (इनमें से चार मुख्य किरदार तो इस किस्त में भी हैं), कहानी का प्लॉट,कहानी से कोई मतलब नहीं रखने वाले गानेअविश्वसनीय दृश्य और परिस्थितियां,क्लाईमैक्स आदि आदि। बस एक चीज नहीं हैवो है मजा।

जैसाकि धमाल में हमने देखा थाएक मरता हुआ आदमी फिल्म के मुख्य किरदारों को काफी बड़ी रकम के बारे में बताता हैजो उसने किसी गुप्त जगह पर छिपा कर रखा है। फिर सभी किरदार उसकी खोज में निकल जाते हैं। रास्ते में कई अजीबोगरीब स्थितियों से उनका सामना होता हैवे मुश्किल में फंसते हैं और उतने ही अजीबोगरीब तरीके से उन हालात से निकल भी जाते हैं और जगह पर पहुंच जाते हैं। वैसे इस फिल्म में निर्देशक ने एक जगह तो तर्क का इस्तेमाल किया है। धमाल 2007 में आई थी और  टोटल धमाल 2019में। इस दौरान महंगाई काफी बढ़ गई और खर्चे भीलिहाजा उन्होंने खजाने की रकम 10 करोड़ से बढ़ा कर 50 करोड़ कर दी है!

फिल्म की शुरुआत गाने से होती है और उस गाने में सारे किरदारों से निर्देशक रूबरू करा देते हैं कि अगले दो घंटे आपको इन्हें ही झेलना हैफिर हर किरदार के एक-सीन बारी-बारी से चलते हैं और कुछ सीन में वे एक साथ भी होते हैंताकि अलग होकर फिर एक जगह हो जाने की दौड़ शुरू कर सकें।

फिल्म को देख कर लगता है कि स्क्रिप्ट पर ज्यादा मेहनत करने की बजाय निर्देशक और लेखक को बस ढेर सारे सितारों को फिट कर देने में दिलचस्पी थी। वैसे इसमें कुछ अच्छे स्टंट और वीएफएक्स सीन तो हैंपर कॉमेडी बहुत कम हैजिसकी इससे ज्यादा उम्मीद थी। कुछ ही सीन हैंजिनमें हंसी आती है। क्लाईमैक्स को छोड़ देंतो फिल्म ज्यादातर बोर ही करती है। निर्देशन में कोई कल्पनाशीलता नहीं दिखती।

1978 की फिल्म इनकार के सुपरहिट गाने तू  मुंगड़ा को इस फिल्म में रिक्रिएट किया गया हैलेकिन सोनाक्षी सिन्हा पर फिल्माए गए इस गाने में वो रस नहीं आताजो हेलन पर फिल्माए गए गाने में था। सोनाक्षी इस गाने में फिट नहीं बैठतीं।

फिल्म की स्टारकास्ट अच्छी है,लेकिन निर्देशक उनका इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। अजय देवगन बीच-बीच में कॉमेडी फिल्में करते रहते हैंशायद इस वजह से कि वो अपनी फिल्मोग्राफी में थोड़ी विविधता ला सकें। लेकिन कॉमेडी उन पर कुछ खास जमती नहीं। टोटल धमाल में भी ऐसा ही है। भला हो निर्देशक इंद्र कुमार काजिन्होंने संजय मिश्रा के साथ उनकी जोड़ी बनाई हैजिससे अजय के कुछ दृश्यों में हंसी आ जाती है।

इस फिल्म में सबसे ज्यादा प्रभावित किया है रितेश देशमुख नेउनकी कॉमिक टाइमिंग और संवाद अदायगी अच्छी है। उनकी और पितोबश त्रिपाठी की जोड़ी के सीन ही सबसे ठीक हैं। लंबे अरसे के बाद अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित साथ आए हैंलेकिन उनकी जोड़ी पुराना जादू नहीं जगा पाती। माधुरी को फिल्मों और अपने रोल के चुनाव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

अरशद वारसी में भी ताजगी नजर नहीं आतीउनकी वहीं एक जैसी शैली अब असर नहीं डालती। उनकी बनिस्बत जावेद जाफरी बेहतर लगे हैं। बोमन ईरानी भी प्रभावित नहीं कर पाते। हांक्लाईमैक्स के दृश्य में महेश मांजरेकर जरूर कुछ नया रंग लेकर आते हैं। मनोज पाहवा और ईशा गुप्ता के करने के लिए इस फिल्म में कुछ खास था नहीं।

टोटल धमाल एक टाइमपास फिल्म है। अगर अगर आपधमाल को जेहन में रख कर इस फिल्म को देखेंगेतो निराशा होगी। हांडबल धमाल को जेहन में रख कर देखने जाएंगे,तो उतनी खराब नहीं लगेगी। अगर आपको बिना किसी उद्देश्य के कोई फिल्म देखने का मन कर रहा हैतो इस पर कुछ घंटे और कुछ पैसे खर्च कर सकते हैं।
(23 फरवरी को हिंदुस्तान में प्रकाशित )

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