करियर के पचासवें वर्ष में पचासवां दादा साहेब फाल्के सम्मान

राजीव रंजन

अमिताभ बच्चन

जन्म- 11 अक्तूबर, 1942, इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश

पिता- हरिवंश राय बच्चन

मां- तेजी बच्चन

पत्नी- जया भादुड़ी बच्चन

संतान- श्वेता बच्चन नंदा, अभिषेक बच्चन

वर्ष 1969 भारतीय सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष था। उसी साल भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के’ का आगाज हुआ और भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े नायक ने भी रूपहले पर्दे पर पदार्पण किया। लेकिन मंगलवार (24 सितंबर) के पहले तक यह एक संयोग ही था कि 50 सालों तक दोनों रेल की पटरियों की तरह साथ-साथ चलते रहे, लेकिन उनका मेल नहीं हो पाया था। अमिताभ के प्रशंसकों के लिए यह दुखदायी स्थिति थी।

अमिताभ बच्चन को सिनेमा का हर पुरस्कार और सम्मान मिल चुका था, लेकिन सिनेमा का यह सबसे बड़ा शख्स सिनेमा के शिखर सम्मान से वंचित था। सहस्राब्दि के स्टार अमिताभ बच्चन के प्रशंसक बहुत पहले से कहते आ रहे थे कि उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के’ देने में देरी की जा रही है। लेकिन शायद कुछ लोगों के लिए नियति विशेष अवसर चुन कर रखती है। अमिताभ भी इन्हीं लोगों में शामिल हैं। इस साल जब अमिताभ बच्चन ने फिल्म इंडस्ट्री में अपना 50 सालों का सफर तय किया, उन्हें 50वां दादा साहेब फाल्के सम्मान (वर्ष 2018 के लिए) देने की घोषणा की गई है।
अमिताभ ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 1969 में ख्वाजा अहमद अब्बास द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ से की थी, तो शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि वे आने वाले समय में हिन्दुस्तानी सिनेमा की सबसे बड़ी शख्सीयत बनेंगे। लेकिन अमिताभ आज जिस शिखर पर हैं, वहां पहुंचने के सफर में उन्होंने बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे। उनकी शुरुआती फिल्में लगातार असफल हुईं और वे इतने निराश हो गए कि वापस लौटने की सोचने लगे। उनके भाई अजिताभ बच्चन ने उनको हिम्मत बंधाई। फिर 1973 में आई ‘जंजीर’, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। इस फिल्म ने उन्हें सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर दिया और हिंदी सिनेमा को ‘एंग्री यंग मैन’ मिला। इसके बाद उन्होंने ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘अभिमान’, ‘कभी कभी’, ‘त्रिशुल’, ‘काला पत्थर’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘डॉन’, ‘लावारिस’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘कुली’, ‘शराबी’, ‘शहंशाह’, ‘अग्निपथ’ जैसी ढेरों हिट फिल्में दीं।
इस बुलंदी के बाद एक बार फिर उन्हें गर्दिश का सामना करना पड़ा। उनकी ‘जादूगर’, ‘लाल बादशाह’, ‘मैं आजाद हूं’ सहित कई फिल्में फ्लॉप हुईं। उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कारपोरेशन लिमिटेड (एबीसीएल) ने 1996 में बेंगलुरु में ‘मिस वर्ल्ड’ प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस आयोजन में उन्हें भारी नुकसान हुआ। एबीसीएल ने कई फिल्मों का निर्माण भी किया, लेकिन वे असफल हो गईं। वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए। उनके पास कोई काम नहीं था, उन्होंने प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा से काम मांगा। यश चोपड़ा निर्देशित ‘मोहब्बतें’ और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से उनके सितारे फिर फिर बुलंदी पर पहुंचे। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने ‘ब्लैक’, ‘खाकी’, ‘पा’, ‘पीकू’, ‘पिंक’, ‘बदला’ जैसी कई हिट फिल्में दीं। आज 77 साल की उम्र में भी उनका जोश और उनकी ऊर्जा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके लिए फिल्में लिखी जा रही हैं।

सम्मान और पुरस्कार

अमिताभ बच्चन को अब तक चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म ‘अग्निपथ’, ‘ब्लैक’, ‘पा’ और ‘पीकू’ (सर्वश्रेष्ठ अभिनेता) के लिए मिल चुके हैं।
अमिताभ को फिल्मफेयर का पहला ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार दिया गया था।
वे अब तक पांच बार फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीत चुके हैं।
अमिताभ बच्चन को 2015 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।

अमिताभ बच्चने के बारे में कुछ तथ्य

अमिताभ बच्चन का नाम पहले इन्कलाब था, लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की सलाह पर उनका नाम अमिताभ रखा गया।
अमिताभ बच्चन ने अपने स्कूली जीवन के दौरान नैनीताल में ‘शेरवुड कॉलेज’ में थियेटर किया था। बाद में कलकत्ता (अब कोलकाता) में भी उन्होंने थियेटर किया था।
अमिताभ बच्चन 1984 में इलाहाबाद लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंचे थे। उन्होंने दिग्गज राजनेता हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था। हालांकि बोफोर्स घोटाले में नाम आने के कारण उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था।
अमिताभ बच्चन ने मनमोहन देसाई, प्रकाश मेहरा, हृषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा के साथ सबसे ज्यादा काम किया।
विनोद खन्ना और शशि कपूर के साथ उनकी जोड़ी फिल्म जगत की सबसे हिट जोड़ियों में से एक है।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से जुड़े कुछ तथ्य

पहला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 1969 में अभिनेत्री व बॉम्बे टॉकीज की सह-संस्थापक देविका रानी को दिया गया था।
अब तक 50 लोगों को दादा साहेब फाल्के मिल चुका है।
यह सम्मान पाने वाले लोगों में देविका रानी, बी.एन. सरकार, पृथ्वीराज कपूर, पंकज मलिक, कानन देवी, नौशाद, मजरूह सुल्तानपुरी, सोहराब मोदी, सत्यजीत रे, वी. शांताराम, अशोक कुमार, लता मंगेशकर, दिलीप कुमार, भूपेन हजारिका, यश चोपड़ा, मनोज कुमार, कवि प्रदीप आदि शामिल हैं
कपूर परिवार में तीन लोगों को यह सम्मान मिला है। पृथ्वीराज कपूर (वर्ष 1971 के लिए), राज कपूर (वर्ष 1987 के लिए) और शशि कपूर को (वर्ष 2014 के लिए)
दादा साहेब फाल्के सम्मान अब तक दो लोगों को मरणोपरांत दिया गया है। पृथ्वीराज कपूर को 1972 में (1971 के लिए) और विनोद खन्ना को 2018 में (2017 के लिए)

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 

यह सम्मान भारतीय सिनेमा के जनक धुंढीराज गोविंद फाल्के उर्फ दादा साहेब फाल्के के नाम पर दिया जाता है। उन्होंने भारत की पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी। उनके जन्मशताब्दी वर्ष पर 1969 में सिनेमा का यह सर्वोच्च पुरस्कार शुरू  किया गया था। इस पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल, एक सिल्क स्रोल, एक शॉल, एक प्रशस्ति पत्र और दस लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेताओं की सूची

नाम वर्ष 

देविका रानी 1969
बीरेंद्र नाथ सरकार 1970
पृथ्वीराज कपूर 1971
पंकज मलिक 1972
रूबी मायर्स (सुलोचना) 1973
बोमीरेड्डी नरसिम्हा राव 1974
धीरेंद्र नाथ गांगुली 1975
कानन देवी 1976
नितिन बोस 1977
रायचंद बोराल 1978
सोहराब मोदी 1979
पी. जयराज 1980
नौशाद 1981
एल.वी. प्रसाद 1982
दुर्गा खोटे 1983
सत्यजीत रे 1984
वी शांताराम 1985
बी नागी रेड्डी 1986
राज कपूर 1987
अशोक कुमार 1988
लता मंगेशकर 1989
अक्किनेनी नागेश्वर राव 1990
भालजी पेंढारकर 1991
भूपेन हजारिका 1992
मजरूह सुल्तानपुरी 1993
दिलीप कुमार 1994
राजकुमार (कन्नड़) 1995
शिवाजी गणेशन 1996
कवि प्रदीप 1997
बी.आर. चोपड़ा 1998
ऋषिकेश मुखर्जी 1999
आशा भोंसले 2000
यश चोपड़ा 2001
देव आनंद 2002
मृणाल सेन 2003
अदूर गोपलकृष्णन 2004
श्याम बेनेगल 2005
तपन सिन्हा 2006
मन्ना डे 2007
वी के मूर्ति 2008
डी रामानायडू 2009
के बालाचंदर 2010
सौमित्र चटर्जी 2011
प्राण                                 2012
गुलजार 2013
शशि कपूर 2014
मनोज कुमार 2015
के विश्वनाथ 2016
विनोद खन्ना 2017
अमिताभ बच्चन 2018

(25 सितम्बर, 2019 को हिंदुस्तान में सम्पादित अंश प्रकाशित)

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