फिल्म दबंग 3 की समीक्षा
सलमान ही कहानी, सलमान ही फिल्म
राजीव रंजन
निर्देशक : प्रभु देवा
कलाकार: सलमान खान, सोनाक्षी सिन्हा, किच्छा सुदीप, सई मांजरेकर, अरबाज खान, नवाब शाह
2.5 स्टार
फिल्म के हीरो सलमान खान हों, फिल्म ‘दबंग’ सिरीज की हो और उसके निर्देशक प्रभु देवा हों, तो यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि फिल्म कैसी होगी। लब्बोलुआब यह है कि यह फिल्म वैसी ही है, जैसी उम्मीद थी। इस फिल्म में और इसकी पहले की दो किस्तों में बस फर्क इतना है कि यह फिल्म चुलबुल पांडे के अतीत में झांकती है और धाकड़ पांडे के चुलबुल पांडे बनने की कहानी कहती है।
दबंग पुलिस अधिकारी चुलबुल पांडे (सलमान खान) टुंडला में एएसपी है। उसके परिवार में पत्नी रज्जो (सोनाक्षी सिन्हा), भाई मक्खन चंद पांडे उर्फ मक्खी (अरबाज खान), पिता प्रजापति पांडे (प्रमोद खन्ना), मां (डिंपल कपाड़िया) और एक बेटा है। भाई मक्खी भी पुलिस में है। चुलबुल आज भी अपने अंदाज में ही काम करता है। एक दिन एक लड़की बहुत बुरी हालत में पुलिस स्टेशन पहुंचती है और बताती है कि कुछ लोग कई लड़कियों को बेचने के लिए जबरदस्ती ले जा रहे हैं। चुलबुल की गैर-मौजूदगी में मक्खी घटनास्थल पर जाता है, लेकिन गुंडों के बीच फंस जाता है। तभी चुलबुल वहां पहुंच जाता है और गुंडों की धुलाई कर लड़कियों को छुड़ा लाता है। उनकी सरगना चिंटी वालिया (डॉली बिंद्रा) तथा उसके गुर्गों को गिरफ्तार कर थाने में बंद कर देता है। उनको छुड़ाने के लिए एक प्रभावशाली आदमी की वीडियो कॉल आती है, जिसे देख वह अतीत में चला जाता है। वह शख्स बाली सिंह (किच्छा सुदीप) है, जिसने चुलबुल की पहली प्रेमिका (सई मांजरेकर) और पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। चुलबुल ने उसे मार दिया था, लिहाजा उसे जिंदा देख वह हैरान रह जाता है। अब चुलबुल की जिंदगी का एक ही मकसद होता है, बाली से बदला...
यह फिल्म न पूरी तरह प्रीक्वल (पहले की कहानी) है और न ही पूरी तरह सीक्वल (आगे की कहानी), यह दोनों का मिश्रण है। पटकथा में बहुत झोल हैं, लेकिन पिछली से इस फिल्म की कहानी के सिरों को ठीक से जोड़ा गया है और अतीत से वर्तमान का सिरा भी ठीक से जोड़ा गया है। फिल्म में ‘दबंग’ सिरीज का फ्लेवर तो है ही, निर्देशक प्रभु देवा के एक्शन की छाप भी दिखाई पड़ती है। ‘वॉन्टेड’ और ‘राउडी राठौड़’ के एक्शन का स्टाइल इसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है। एक्शन फिल्म की यूएसपी है और कॉमेडी भी ठीक है, हालांकि भावनात्मक दृश्य थोड़े कमजोर हैं। प्रभु देवा का निर्देशन ठीक है। वह जैसी फिल्म बनाना चाहते थे, वैसी बनाने में सफल रहे हैं। कई जगह फिल्म धीमी होती है और कई बार अनावश्यक गाने फिल्म की रफ्तार को रोकते हैं। संगीत ठीक है और सिनेमेटोग्राफी भी। संवाद ‘दबंग’ स्टाइल के हैं।
सलमान खान अपनी भूमिका में पूरी तरह जंचे हैं। उनका अभिनय फिल्म की जरूरत के हिसाब से है। एक्शन (भले ही वह अविश्वसनीय है) में वह दमदार हैं और कॉमेडी में मजेदार। सोनाक्षी भी ठीक लगी हैं, हालांकि उनका मेकअप कई जगह बहुत बुरा लगता है। सई मांजरेकर प्रभावित करती हैं, उनमें संभावनाएं हैं। अरबाज खान ने कॉमेडी अच्छी की है। किच्छा सुदीप खलनायक के रूप में ठीक हैं, हालांकि उनकी डायलॉग डिलीवरी थोड़ी और बेहतर हो सकती है। सलमान के पिता की भूमिका में विनोद खन्ना के भाई प्रमोद खन्ना अपने भाई की याद दिलाते हैं। डिंपल कपाड़िया का अभिनय अच्छा है। अन्य कलाकार भी ठीक हैं।
बचपन में मास्टर साहब अंटार्कटिका के बारे में बताते थे ‘देयर इज नथिंग बट आइस’ (वहां बर्फ ही बर्फ है), ‘दबंग 3’ के बारे में हम कह सकते हैं- ‘देयर इज नथिंग बट सलमान’ (बस सलमान ही सलमान हैं)। वैसे भी सलमान के प्रशंसकों को उनके अलावा चाहिए भी क्या! यह फिल्म कैसी लगेगी, इस बात का जवाब इस पर निर्भर है कि आप अच्छा कंटेंट पसंद करते हैं या सलमान खान को।
टिप्पणियाँ