बॉलीवुड के तड़के के साथ हॉलीवुड का सुपरहीरो

डेडपूल 2 की समीक्षा

राजीव रंजन

कलाकार: रयान रेनॉल्ड्स, जोश ब्रोलिन, मोरेना बकरीन, जेज बीट्स, जूलियन डेनिसन, करण सोनी, लेस्ली उगेम्स

निर्देशक: डेविड लीच

लेखक: रेट रीज, पॉल वर्निक, रयान रेनॉल्ड्स

2.5 स्टार




इस शुक्रवार मार्वेल कॉमिक्स का एक और सुपरहीरो ‘डेडपूल 2’ हाजिर है। लेकिन इस बार उसका अंदाज थोड़ा बदला हुआ है। खासकर हिंदी संस्करण में। ऐसा लगता है कि भारत में हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों की सफलता ने वहां के फिल्मकारों को कुछ अलग सोचने को प्रेरित किया है। शायद यही वजह है कि ‘डेडपूल 2’ के निर्माताओं ने फिल्म के हिंदी संस्करण के संवादों को पूरी तरह भारतीय परिवेश में रखने की कोशिश की है।

यह फिल्म 2016 में आई मार्वेल की फिल्म ‘डेडपूल’ का सीक्वल है और ‘एक्स-मेन’ सिरीज की 11वीं फिल्म। पहले भाग यानी ‘डेडपूल’ में यह दिखाया गया है कि किस तरह वेड विल्सन ‘डेडपूल’ बनता है। वेड विल्सन (रयान रेनॉल्ड्स) स्पेशल फोर्स से निष्कासित होने के बाद उल्टे-सीधे काम करने लगता है। एक दिन वह वेनेसा (मोरेना बकरीन) से मिलता है और उसके जीवन में थोड़ा ठहराव आता है, तभी उसे पता चलता है कि उसे लास्ट स्टेज का कैंसर है। फिर उसे मिलता है डॉ. एजेक्स, जो उसके कैंसर को ठीक करने का भरोसा दिलाता है। लेकिन वास्तव में एजेक्स उसका इस्तेमाल कर रहा होता है और उसके प्रयोग के चक्कर में वेड एक म्यूटेंट बन जाता है। वह किसी तरह एजेक्स के चंगुल से निकल जाता है। अब उसका जीवन पूरी तरह बदल जाता है। वेड का कैंसर तो ठीक हो जाता है, किन्तु उसका साईड इफेक्ट उसकी त्वचा पर होता है और वह बदसूरत हो जाता है। लेकिन उसे शक्तियों के रूप में हीलिंग पावर मिलती है, जो उसे अजेय बना देती है। अब उसके जीवन का मकसद है एजेक्स को ढूंढ़ना और उसे खत्म करना। और वह इस काम में सफल भी होता है।

‘डेडपूल 2’ इसके बाद की कहानी कहती है। वेड अपनी प्रेमिका वेनेसा के साथ सुखद क्षण बिता रहा होता है कि कुछ लोग उस पर हमला कर देते हैं। इस हमले में वेनेसा मारी जाती है। इसके बाद वेड यानी डेडपूल को अपनी जिंदगी निरर्थक लगने लगती है। उसे एक्समैन कोलोसस संभालता है और अपने साथ काम पर लगाता है। डेडपूल को एक मिशन पर ले जाया जाता है, जहां एक अनाथालय का म्यूटेंट बच्चा रसेल यानी फायर फीस्ट्स (जूलियन डेनिसन) स्कूल के प्रिसिपल को खत्म कर देना चाहता है। वह अपने हाथों से आग के गोले छोड़ता है, जिससे वहां सबकी जान खतरे में आ जाती है। डेडपूल उस पर काबू पा लेता है। लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि उसे और रसेल को ऐसी जेल में डाल दिया जाता है, जहां पहले से ही बहुत सारे म्यूटेंट मौजूद है और सबकी शक्तियों पर काबू पाने के लिए उनकी गर्दन में एक खास तरह का गैजेट डाला गया है।

इसी बीच सामने आता है केबल (जोश ब्रोलिन), जो भूत और भविष्य में यात्रा कर सकता है। इस फिल्म में वह भविष्य से यात्रा करके आया है और रसेल को मारना चाहता है। वहीं डेडपूल का मकसद है किसी तरह रसेल को बचाना और उसे सुधरने का एक मौका देना। इसके लिए वह एक टीम बनाता है, जिसका नाम है एक्स-फोर्स। इस टीम में डोमिनो (जेज बीट्स) के अलावा कुछ सदस्य और हैं, जिनके पास कुछ अलग तरह की खासियतें हैं। जैसेकि डोमिनो बहुत भाग्यशाली है और कई मौकों पर उसकी किस्मत बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके बाद शुरू होती है रसेल को मारने और बचाने की जंग...



‘डेडपूल’ के निर्देशक टिम मिलर थे, लेकिन इस बार निर्देशन की कमान संभाली है डेविड लीच ने। उन्होंने भी अपना काम ठीक किया है। दरअसल सुपरहीरो फिल्मों में किरदारों के विकास के साथ तकनीक बेहद अहम भूमिका निभाती है। इस फिल्म का तकनीकी पक्ष भी अच्छा है। हालांकि अगर आप ‘अवतार’ जैसे विजुअल इफेक्ट्स और ‘एवेंजर्स: इनफिनिटी’ जैसे एक्शन की उम्मीद कर रहे हैं तो निराशा होगी। लेकिन हां, इसका एक्शन और विजुअल इफेक्ट्स निराश भी नहीं करता है। कहानी और प्रस्तुतीकरण के नाम पर इसमें भी वही सब कुछ है, जैसा अक्सर सुपरहीरो वाली फिल्मों मे होता है। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि यह सुपरहीरो बहुत मजाकिया है और थोड़ा भावुक भी।

सभी कलाकारों का अभिनय अच्छा है। डेडपूल के रूप में रेनॉल्ड्स असर छोड़ते हैं। केबल के रूप में जोश ब्रोलिन दमदार लगे हैं और डोमिनो के रूप में जेज बीट्स मजेदार। वहीं म्यूटेंट बच्चे के रूप में जूलियन डेनिसन ने भी अपनी भूमिका ठीक से निभाई है। मोरेना बकरीन की भूमिका बहुत छोटी है, पर वह प्रभावित करती हैं। टैक्सी ड्राइवर डोपिंदर की भूमिका में करण सोनी ने अच्छा मनोरंजन किया है। भारतीय दर्शकों को यह किरदार बहुत पसंद आएगा।

फिल्म के हिंदी संस्करण के संवादों को पूरी तरह भारतीय दर्शकों को ध्यान में रख कर लिखा गया है, जिसमें बॉलीवुड फिल्मों और उनके संवादों का उल्लेख मजेदार संदर्भों में किया है। वनलाइनर खूब हैं। संवाद बहुत द्विअर्थी हैं और परिवार के साथ बैठ कर उन्हें सुनने में आप शायद सहज न हो सकें। हिंदी संवाद एक हॉलीवुड फिल्म को बिल्कुल देसी तड़के के साथ भारतीय दर्शकों के सामने पेश करते हैं। फिल्म के मुख्य पात्र डेडपूल के किरदार को हिंदी में अपनी आवाज दी है रणवीर सिंह ने। वह डेडपूल के किरदार के मजाकिएपन (कई बार छिछोरेपन) को बहुत असरदार और मजेदार तरीके से पेश करते हैं। जिस तरीके से उन्होंने अपनी आवाज का इस्तेमाल डेडपूल के लिए किया है, वह काबिले-तारीफ है। सुन कर मजा आता है और हंसी भी।

यह फिल्म एक सकारात्मक बिंदु पर खत्म होती है और इस बात का संकेत भी दे जाती है कि इसका अगला सीक्वल भी आएगा।

(livehindustan.com में 18 मई और हिन्दुस्तान में 19 मई 2018 को प्रकाशित)



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