ये मुन्ना माइकल है और थोड़ा रैम्बो भी


राजीव रंजन, नई दिल्ली
स्टार- ढाई स्टार
कलाकार: टाइगर श्रॉफ, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, निधि अग्रवाल, रोनित रॉय
निर्देशक : शब्बीर खान

माइकल जैक्सन ने अपने डांस से पूरी दुनिया में अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया है। एमजे से प्रेरित होकर कई युवाओं ने डांस को अपना करियर बनाया। भारत में भी एमजे के दीवानों की कमी नहीं। अपने समय में बॉलीवुड के सबसे बड़े डांसिंग स्टार रहे मिथुन चक्रवती भी उनसे बहुत प्रभावित रहे हैं और उनके स्टेप्स करने की प्रैक्टिस भी किया करते थे। टाइगर श्रॉफ की ‘मुन्ना माइकल’ की प्रेरणा भी एमजे ही हैं। बस इसमें थोड़ा ‘रैम्बो’ को भी मिला दिया गया है।

माइकल (रोनित रॉय) एक डांसर है, जो फिल्मों में ग्रूप डांस करता है। वह माइकल जैक्सन का बहुत बड़ा फैन है। एक दिन उसे काम से निकाल दिया जाता है, क्योंकि उसकी उम्र ज्यादा हो चुकी है। उसी रात उसे एक लावारिस शिशु रास्ते में पड़ा मिलता है। माइकल बच्चे का नाम मुन्ना रखता है और उसे घर ले आता है। मुन्ना डांस से दीवानगी की हद तक प्यार करता है। वह अपने दोस्तों के साथ क्लब वगैरह में डांस की शर्त जीत कर पैसे कमाता है। मुन्ना के बाबा को एक गंभीर बीमारी हो जाती है। पैसे कमाने के लिए मुन्ना मुंबई के क्लबों में जाता है, लेकिन उसका और उसके दोस्तों का क्लब में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाता है। मुन्ना मजबुरी में दिल्ली आ जाता है, जहां एक दिलचस्प घटनाक्रम में उसकी मुलाकात महेंदर फौजी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) से होती है।

महेंदर रियल एस्टेट के कारोबार में है और उसका सारा काम गुंडई से चलता है। वह मुन्ना माइकल को अपना दोस्त बना लेता है और उससे डांस सिखाने की गुजारिश करता है, क्योंकि वह एक क्लब में डांस करने वाली लड़की डॉली यानी दीपिका शर्मा (निधि अग्रवाल) को अपने डांस से प्रभावित करना चाहता है। वह डॉली से बहुत प्यार करता है, हालांकि वह पहले से शादीशुदा है। डॉली, मुन्ना को पसंद करती है और मुन्ना भी डॉली को पसंद करता है, लेकिन दोस्ती की खातिर अपने जज्बातों को काबू में रखता है... इसके बाद शुरू होता है एक प्रेम त्रिकोण का मामला...

फिल्म में डांस और एक्शन के सीक्वेंस कमाल के हैं, लेकिन कहानी के नाम पर कुछ नहीं है। फिल्म इतनी जानी-पहचानी लीक पर चलती है कि कोई छोटा-सा बच्चा भी बता सकता है कि अगले सीन में क्या होने वाला है। पटकथा एकदम बिखरी-बिखरी सी है। पूरी फिल्म में अगर कुछ है तो टाइगर का डांस-एक्शन और नवाजुद्दीन का अभिनय। शब्बीर खान का निर्देशन निराशाजनक है। वह कहानी और पटकथा पर ध्यान देते तो फिल्म शानदार हो सकती थी।हां, इस फिल्म के डांस डायरेक्टर और एक्शन डायरेक्टर की तारीफ करनी होगी। दोनों का काम शानदार है।

टाइगर श्रॉफ ने अब तक कुल जमा चार पिक्चरें की हैं, जिनमें तीन के निर्देशक शब्बीर खान है। लेकिन ये जोड़ी दर्शकों को कुछ खास नहीं परोस सकी है, सिवाय डांस और एक्शन के। अगर टाइगर अपनी इसी पहचान से संतुष्ट हैं, तब तो कोई बात ही नहीं है, लेकिन अगर उन्हें अच्छे अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनानी हैं तो अभिनय पर भी ध्यान देना होगा। उन्हें दूसरे निर्देशकों के साथ भी काम करना होगा। ‘मुन्ना माइकल’ में उनका डांस और एक्शन तो अपने उरुज पर है, लेकिन एक्सप्रेशन के मामले में वे कमजोर नजर आते हैं। निधि अग्रवाल की यह पहली फिल्म है, लेकिन वह प्रभावित नहीं कर पाती हैं। डांस में तो वह ठीक हैं, लेकिन अभिनय उनका बहुत साधारण है, हालांकि उनके किरदार में स्कोप था। अब नवाजुद्दीन सिद्दीकी की क्या बात करें! वे साधारण से किरदार को भी असाधारण बना देते हैं। वे जब-जब पर्दे पर आते हैं, तब-तब दर्शक आनंदित हो जाते हैं। कमजोर कहानी वाली इस फिल्म में उनका किरदार बहुत दिलचस्प है। या यूं कह सकते हैं कि उन्होंने अपनी सहज अभिव्यक्ति से उसे दिलचस्प बना दिया है। पंकज त्रिपाठी ने भी मजेदार अभिनय किया है। मुन्ना के बाबा माइकल के रूप में रोनित रॉय भी ठीक हैं।

क्लाईमैक्स में टाइगर एक्शन और डांस को एक अगले स्तर पर ले जाते हैं। गीत और संगीत फिल्म के मूड के लिहाज से है। हालांकि एक भी गाना ऐसा नहीं है, जिसे लंबे समय तक याद रखा जा सके। अगर आपको डांस और एक्शन पसंद करते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं। बोनस में आपको नवाजुद्दीन तो मिल ही जाएंगे।
साभार: हिन्दु्स्तान

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