फिल्म ‘एक्स-मेन: डार्क फीनिक्स’ की समीक्षा

तकनीकएक्शन और दर्शन की रोचक रेसिपी

राजीव रंजन

निर्देशक : सिमोन किंसबर्ग

कलाकार: सोफी टर्नरजेम्स मैकवॉयजेसिका चैस्टेनमाइकल फैसबेंडरटाय शेरिडेनजेनिफर लॉरेंसनिकोलस हाउटएलेक्जेंड्रा शिपकोडी स्मिथ मैकफी

तीन स्टार (3 स्टार)

मार्वल कॉमिक्स की फिल्में भारतीय दर्शकों को लुभा रही हैं, उनके लिए भारत मुनाफे का बाजार साबित हो रहा है। शायद यही वजह है कि यहां इसकी फिल्में निरंतरता के साथ रिलीज हो रही हैं। और कई बार तो अमेरिका से पहले भी भारत में रिलीज हो रही हैं। ‘एक्स-मेन: डार्क फीनिक्स’ भी भारत में अमेरिका से दो दिन पहले रिलीज हुई है। सलमान खान की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘भारत’ के साथ इस फिल्म को रिलीज करना निश्चित रूप से साहस का काम है और आत्मविश्वास को दर्शाता है।
‘डार्क फीनिक्स’ एक्स-मेन सिरीज की आखिरी किश्त मानी जा रही है। मुख्य रूप से यह शानदार एक्शन, ग्राफिक्स से भरपूर एक सुपरहीरो वाली फिल्म है, जिसमें हर किरदार के पास अद्भुत और अनूठी शक्तियां हैं। लेकिन बीच-बीच में यह फिल्म दर्शन की भी थोड़ी खुराक देती चलती है। मसलन शक्ति न तो अच्छी होती है, न बुरी। सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं। यह फिल्म एक जगह लैंगिक भेदभाव पर भी चोट करती है। फिल्म में रेवेन उर्फ मिस्टिक का किरदार कर रहीं जेनिफर लॉरेंस चार्ल्स जेवियर बने जेम्स मैकवॉय से कहती हैं, ‘महिलाएं ही हर बार टीम को बचाती हैं, इसलिए एक्स-मेन का नाम बदल कर एक्स-वीमेन कर देना चाहिए।’

यह भी ध्यान देने लायक तथ्य है कि अब मार्वल कॉमिक्स महिला सुपरहीरो को भी तरजीह देने लगा है। इससे पहले मार्च में रिलीज हुई ‘कैप्टन मार्वल’ मार्वल स्टूडियो की पहली सोलो महिला सुपरहीरो वाली फिल्म थी। अब ‘डार्क फीनिक्स’ सोलो महिला सुपरहीरो वाली फिल्म तो नहीं कही जा सकती, लेकिन इसमें केंद्रीय किरदार जीन ग्रे (सोफी टर्नर) ही है, जो सारे किरदारों में सबसे शक्तिशाली है।
फिल्म की कहानी सत्तर के दशक से शुरू होती है। एक छोटी बच्ची है जीन गे्र, जिसके पास कुछ खास शक्तियां हैं, लेकिन उसका इन शक्तियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह घर की चीजें तोड़ देती है। एक दिन वह कार में अपने मां-बाप के साथ कहीं जा रही होती है और इसी दौरान उसकी अनियंत्रित शक्तियों की वजह से कार का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमें उसके माता-पिता की मृत्यु हो जाती है। दुर्घटना के बाद प्रोफेसर चार्ल्स जेवियर उसे अपने संरक्षण में ले लेता है। चाल्र्स ने म्यूटेंट की एक टीम बनाई है, जिसका नाम एक्स-मेन है। जब भी अमेरिका किसी मुश्किल में फंसता है, अमेरिका के राष्ट्रपति चार्ल्स की एक्स-मेन टीम से मदद मांगते हैं। यह टीम उस आफत से अमेरिका की रक्षा भी करती है। चार्ल्स खास बच्चों के लिए एक स्कूल भी चलाता है, जिसका नाम है ‘जेवियर स्कूल फॉर गिफ्टेड’, जहां पढ़ने वाले बच्चे आगे चलकर एक्स-मेन की टीम में शामिल होते हैं। चार्ल्स, जीन के दिमाग से दुर्घटना की यादों को ब्लॉक कर देता है।
इसके बाद कहानी 1992 में पहुंचती है। अमेरिका का एक अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में मुश्किल में फंस जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति एक्स-मेन की टीम से मदद मांगते हैं। इस टीम के सदस्य जीन ग्रे (जो अब वयस्क हो चुकी है), रेवेन, हैंक (निकोलस हॉउट), स्कॉट (टाय शेरिडेन), स्टॉर्म (एलेक्जेंड्रा शिप) और कर्ट (कोडी स्मिथ मैकफी) के साथ उस अंतरिक्ष यान को बचाने के मिशन पर पहुंचते हैं। वहां उनका सामना एक ऊर्जा के एक ऐसे अति विशाल पुंज से होता है, जिसमें बहुत ज्यादा आग है। जीन उस ऊर्जा पुंज से जूझती है और बच कर आ भी जाती है, लेकिन इस मुठभेड़ की वजह ऊर्जा का वह पुंज उसके अंदर प्रवेश कर जाता है। उसकी शक्तियां असीमित हो जाती हैं, जिन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। उसे अपने बचपन की दुर्घटना भी याद आ जाती है और पता चल जाता है कि उसके पिता जिंदा हैं। वह अपने करीबी लोगों के लिए ही खतरा बन जाती है। म्यूटेंट्स को सुरक्षित जगह देने वाला एरिक (माइकल फैसबेंडर) भी इस खतरे से वाकिफ हो जाता है, लिहाजा वह भी जीन को पनाह नहीं देता। इसके बाद जीन की मुलाकात एलियन म्यूटेंट वुक (जेसिका चैस्टेन) से होती है, जो उसकी शक्तियों हासिल कर दुनिया को अपनी मुट्ठी में करना चाहती है। फिर एक्स-मेन और एलियन म्यूटेंट प्रजाति के बीच जीन ग्रे को नियंत्रित करने की एक जद्दोजहद शुरू होती है, लेकिन जीन अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनती है...
फिल्म का कॉन्सेप्ट अच्छा है और उसे लेखक-निर्देशक सिमोन किंसबर्ग ने प्रभावी तरीके से पेश किया है। उन्होंने तकनीक के इस्तेमाल के साथ भावनाओं को उभारने पर भी ध्यान दिया है। हालांकि इमोशन को और बेहतर तरीके से उभारा जा सकता था, जिसका फिल्म में अच्छा-खासा स्कोप था। यहां पर किंसबर्ग थोड़ा चूक गए। फिल्म का एक्शन और ग्राफिक शानदार हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा है।

कलाकारों का अभिनय भी ठीक है। केंद्रीय भूमिका में सोफी टर्नर अच्छी लगी हैं। खलनायिका के रूप में जेसिका चैस्टेन का काम भी अच्छा है। जेम्स मैकवॉय अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं और जेनिफर लॉरेंस भी अपने किरदार को उसके मिजाज के अनुरूप पेश करती हैं। बाकी कलाकारों ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। एक्स-मेन सिरीज के प्रशंसकों को यह फिल्म लुभाएगी, तो दूसरे दर्शकों को भी निराश नहीं करेगी। और हां, फिल्म के अंत में जीन ग्रे का एक संवाद यह संकेत देता है कि एक्स-मेन सीरिज की ये आखिरी किश्त भले हो, लेकिन ये सुपरहीरो किसी नए रूप में या किसी नई सीरिज में आ सकते हैं।

(हिन्दुस्तान में जून 2019 को प्रकाशित)

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