कुमार विनोद की कुछ कवितायें
बच्चा - एक
बच्चा सच्ची बात लिखेगा
जीवन है सौगात, लिखेगा
जब वो अपनी पर आएगा
मरुथल मे बरसात लिखेगा
उसकी आंखों मे जुगनू है
सारी-सारी रात लिखेगा
नन्हें हाथों को लिखने दो
बदलेंगे हालात, लिखेगा
उसके सहने की सीमा है
मत भूलो, प्रतिघात लिखेगा
बिना प्यार की खुशबू वाली
रोटी को खैरात लिखेगा
जा उसके सीने से लग जावो
तेरे जज्बात लिखेगा
बच्चा - २
सब आंखों का तारा बच्चा
सूरज चाँद सितारा बच्चा
सूरदास की लकुटि-कमरिया
मीरा का इकतारा बच्चा
कल-कल करता हर पल बहता
दरिया की जलधारा बच्चा
जग से जीत भले न पाए
खुद से कब है हारा बच्चा
जब भी मुश्किल वक्त पड़ेगा
देगा हमे सहारा बच्चा
गूंगे जब सच बोलेंगे
सब सिंहासन डोलेंगे
गूंगे जब सच बोलेंगे
सूरज को भी छू लेंगे
पंछी जब पर तोलेंगे
अब के माँ से मिलते ही
आँचल मे छिप रो लेंगे
कल छुट्टी है, अच्छा है
बच्चे जी भर सो लेंगे
हमने उड़ना सीख लिया
नये आसमां खोलेंगे
आदमी तनहा हुआ
हर तरफ है भीड़ फिर भी आदमी तनहा हुआ
गुमशुदा का एक विज्ञापन-सा हर चेहरा हुआ
सैल घड़ी का दर हकीकत कुछ दिनो से ख़त्म था
और मैं नादां ये समझा वक्त है ठहरा हुआ
चेहरों पे मुस्कान जैसे पानी का हो बुलबुला
पर दिलों मे दर्द जाने कब से है ठहरा हुआ
आसमां की छत पे जाकर चंद तारे तोड़ दूं
दिल ज़माने भर की बातों से मेरा उखडा हुआ
तुम उठो, हम भी उठें और साथ मिल कर सब चलें
रुख हवाओं का मिलेगा एकदम बदला हुआ
अपने हिस्से का सूरज
जीवन है इक दौड़ सभी हम भाग रहे हैं
बिस्तर पे काँटों के हम सब जाग रहे हैं
कागज़ की धरती पर जो बन फूल खिलेंगे
वही शब्द सीनों मे बन कर आग रहे हैं
हर कोई पा ले अपने हिस्से का सूरज
कहाँ सभी के इतने अच्छे भाग रहे हैं
वो जीवन मे सुख पा लेते भी तो कैसे
जिनको ड़सते इच्छाओं के नाग रहे हैं
रंगों से नाता ही मानो टूट गया हो
अपने जावन मे ऐसे भी फाग रहे हैं
डर
सपने मे
बरसात हुयी
भीगने से
बचने की खातिर
दौडा फिरा मैं
मारा-मारा
हुआ पसीने से तर-ब-तर
और
सच मे भीग गया सारा
सतरंगी सपनों की दुनिया
सब कुछ होते हुए भी थोडी बेचैनी है
शायद मुझमे इच्छाओं की एक नदी है
कहीं पे भी जब कोई बच्चा मुस्काया है
फूलों के संग तितली भी तो खूब हंसी है
गर्माहट काफूर हो गयी है रिश्तों से
रगों मे जैसे शायद कोई बर्फ जमी है
सतरंगी सपनो की दुनिया मे तुम आकर
जब भी मुझको छू लेती हो ग़जल हुयी है
बच्चा सच्ची बात लिखेगा
जीवन है सौगात, लिखेगा
जब वो अपनी पर आएगा
मरुथल मे बरसात लिखेगा
उसकी आंखों मे जुगनू है
सारी-सारी रात लिखेगा
नन्हें हाथों को लिखने दो
बदलेंगे हालात, लिखेगा
उसके सहने की सीमा है
मत भूलो, प्रतिघात लिखेगा
बिना प्यार की खुशबू वाली
रोटी को खैरात लिखेगा
जा उसके सीने से लग जावो
तेरे जज्बात लिखेगा
बच्चा - २
सब आंखों का तारा बच्चा
सूरज चाँद सितारा बच्चा
सूरदास की लकुटि-कमरिया
मीरा का इकतारा बच्चा
कल-कल करता हर पल बहता
दरिया की जलधारा बच्चा
जग से जीत भले न पाए
खुद से कब है हारा बच्चा
जब भी मुश्किल वक्त पड़ेगा
देगा हमे सहारा बच्चा
गूंगे जब सच बोलेंगे
सब सिंहासन डोलेंगे
गूंगे जब सच बोलेंगे
सूरज को भी छू लेंगे
पंछी जब पर तोलेंगे
अब के माँ से मिलते ही
आँचल मे छिप रो लेंगे
कल छुट्टी है, अच्छा है
बच्चे जी भर सो लेंगे
हमने उड़ना सीख लिया
नये आसमां खोलेंगे
आदमी तनहा हुआ
हर तरफ है भीड़ फिर भी आदमी तनहा हुआ
गुमशुदा का एक विज्ञापन-सा हर चेहरा हुआ
सैल घड़ी का दर हकीकत कुछ दिनो से ख़त्म था
और मैं नादां ये समझा वक्त है ठहरा हुआ
चेहरों पे मुस्कान जैसे पानी का हो बुलबुला
पर दिलों मे दर्द जाने कब से है ठहरा हुआ
आसमां की छत पे जाकर चंद तारे तोड़ दूं
दिल ज़माने भर की बातों से मेरा उखडा हुआ
तुम उठो, हम भी उठें और साथ मिल कर सब चलें
रुख हवाओं का मिलेगा एकदम बदला हुआ
अपने हिस्से का सूरज
जीवन है इक दौड़ सभी हम भाग रहे हैं
बिस्तर पे काँटों के हम सब जाग रहे हैं
कागज़ की धरती पर जो बन फूल खिलेंगे
वही शब्द सीनों मे बन कर आग रहे हैं
हर कोई पा ले अपने हिस्से का सूरज
कहाँ सभी के इतने अच्छे भाग रहे हैं
वो जीवन मे सुख पा लेते भी तो कैसे
जिनको ड़सते इच्छाओं के नाग रहे हैं
रंगों से नाता ही मानो टूट गया हो
अपने जावन मे ऐसे भी फाग रहे हैं
डर
सपने मे
बरसात हुयी
भीगने से
बचने की खातिर
दौडा फिरा मैं
मारा-मारा
हुआ पसीने से तर-ब-तर
और
सच मे भीग गया सारा
सतरंगी सपनों की दुनिया
सब कुछ होते हुए भी थोडी बेचैनी है
शायद मुझमे इच्छाओं की एक नदी है
कहीं पे भी जब कोई बच्चा मुस्काया है
फूलों के संग तितली भी तो खूब हंसी है
गर्माहट काफूर हो गयी है रिश्तों से
रगों मे जैसे शायद कोई बर्फ जमी है
सतरंगी सपनो की दुनिया मे तुम आकर
जब भी मुझको छू लेती हो ग़जल हुयी है
टिप्पणियाँ
ब्लौग की दुनिया मे आपका स्वागत है. आलस्य त्याग कर आप यहाँ आये यह सचमुच अच्छा है. आगाज़ कुमार विनोद की कविताओं से किया, यह और भी अच्छी बात है. इसी वजह से आपने या कहें आपके ब्लौग ने बच्चों की, तितलियों की और नयी दुनिया की बात की. नयी दुनिया मे बच्चों की मासूमियत और तितलियों की सुन्दरता बनी रहे और इन्हें नष्ट करने वाले तत्वों को कहीं पनाह न मिले तभी उसका कुछ अर्थ है. आगाज़ के आपके अंदाज ने उम्मीद जगाई है कि ऐसी नयी दुनिया सुनिश्चित करने के प्रयासों को आपका ब्लौग मजबूती प्रदान करेगा.
बधाई और शुभ कामनाएं
प्रणव प्रियदर्शी