एक बुल्गारियन कविता

एक पेड़ था
जिस पर सूरज रहा करता था
वो कुल्हाडे से काट दिया गया
और उसका का कागज़ बना लिया गया
अब उसी कागज़ पर
मैं उस पेड़ की गाथा लिख रही हूँ
जिस पर कभी सूरज का कयाम था...
(बुल्गारियन शायरा ब्लागा दिमित्रोवा की नज्म )

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